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सत्य कथा: कोठे की लडकी बनी जब घर की लक्ष्मी

सत्य कथा: कोठे की लडकी बनी जब घर की लक्ष्मी
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सत्य कथा :- एक लड़का मुम्बई से रेलवे का परीक्षा देकर, अपने सीट पर जैसे ही बैठा। एक लड़की हाँफते हुए आयी। लड़के से बोली, की मुझे बचा लो, प्लीज! लड़का कुछ समझता कि वह लड़की कम्बल लेकर लड़के के पैर के ऊपर अपना सर रखकर सो गयी। काफी दूर जब ट्रेन निकल गयी। तो उस लड़की ने लड़के से पूछी की यह ट्रेन कहाँ तक जायेगी। लड़के ने कहा कि लखनऊ! तब तक टीसी आया। बोला कि टिकट दिखाइये। लड़की ने कहा कि आप लखनऊ तक का टिकट बना दीजिये। लड़का लखनऊ तक आते आते उस लड़की से घुलमिल गया था। ट्रेन जब लखनऊ स्टेशन पर रुकी। तो उस लड़के से बोली कि, मैं इस शहर में नई हूँ। मेरे एक रिश्तेदार रहते हैं। लेकिन बैग में पता रखते समय भूल गयी। आप दो चार दिन अपने घर मुझे रख लीजिये। लड़के ने कहा कि ठीक हैं। जब लड़का अपने घर पहुँचा, घर की बेल बजायी। तो लड़के की बहन देख कर हैरान रह गयी। कि भैया परीक्षा देने गया था। तो रिजेल्ट भी साथ लाया हैं। लड़के ने लड़की की मजबूरी बतायी। घर वाले राजी हो गए।



लड़की दूसरे दिन घर मे इतना राशन खरीद कर रख दी। कि घर वाले भूल ही गये कि, इस लड़की को इसके रिश्तेदार के यहाँ छोड़ना हैं। लड़के के बहन की शादी तो तय हो गयी। लेकिन 80 हजार रुपये दहेज में कम पड़ रहे थे। लड़के के पिता जी लोन लेने की बात कर रहे थे। इतने में वह लड़की बोली कि बाबू जी, आप लोन मत लीजिये। हम आप को दे देंगे। शादी बड़ी धूमधाम से हुई। बहन की शादी के बाद लड़के ने लड़की से कहा कि, मैं तुमसे प्यार करता हूँ। मुझसे शादी करोगी। लड़की बोली कि यही बात अम्मा बाबूजी के सामने रखिये। लड़के ने कहा कि यह बात अम्मा बाबूजी जी से राय लेकर बोला हूँ। लड़की सबके सामने कही की मेरे बारे में बेगैर जाने ही आप लोग शादी के बारे में सोच लिये। सच्चाई जानने के बाद क्या आप मुझसे शादी करेंगे। जब वह बतायी कि, मुम्बई के रेड एलर्ड एरिया के एक कोठे के मालकिन की बेटी हूँ। जब मुझे मालूम हुआ कि आज मेरी कीमत लग गयी हैं। तो माँ से बोली कि इस दलदल में मुझे मत डालो। मुझे पढ़ा लिखाकर क्या यही करने के लिये सोची हो। मुझे मेरी माँ ने कहा कि, बेटी तू ग्राहक आने से पहले कही भाग जा। तब मैं भाग कर यहाँ आ गयी। यह सुनकर सबके पाव तले जमीन खिसक गई। और उस लड़की से बोलना बन्द कर दिए। यह बात तत्काल बेटी को ससुराल में मालूम हुई। लड़की ने अपने पति से बोली कि, मुझे अपने मायके जाना हैं। वह तत्काल अपने मायके जैसे ही पहुँची। लड़की अपना कपड़ा समेट कर घर से निकलने वाली थी। लड़की ने कहा कि कहाँ जा रही हो। तो वह बोली कि भगवान जाने। इतना कहकर वह फफककर रोने लगी। और कहने लगी कि आप लोग का प्यार बहुत मिला।



लड़की ने अपने माता पिता भाई से बोली कि, आप लोग बहुत गिरे इंसान हो। जबसे भाभी घर मे आयी। आज दो साल से यह साग सब्जी राशन पानी लायी। तब गन्दी नही थी। जब मेरे शादी में 80 हजार दी तब गन्दी नही थी। मेरे शादी का सारा सामान खरीदकर मुझे दी। तब गन्दी नही थी। ये जेवर बनवाकर मुझे दी। तब गन्दी नही थी। मेरे शादी में सारा खर्च जब यह उठाई तो गन्दी नही थी। तब तो आप लोग प्रसन्सा की पुल आप लोग बांधते थे। की यह बेटी नही साक्षात लक्ष्मी हैं। अगर भाभी की जगह आप की बेटी होती तो आप मुझे भी घर से निकाल देते। भाई का हाथ पकड़ कर बोली, क्यो भैया जब आप भाभी को लेकर दिन रात घुमते थे। तब गन्दी नही थी। आज गन्दी हो गयी। अगर भाभी से आप भैया शादी नही किये। तो मैं कभी नही आप के दरवाजे पर आऊँगी। हम लड़कियों को यही समाज गन्दा बनाता हैं। कोठे पर ले जाकर बेच देता हैं। और कोठे पर जाकर सोता हैं। तब कुछ इज्जत के बारे में नही सोचता हैं। अपनाने में इज्जत चली जाती हैं। बेटी की बात सुनकर सब कहे कि शादी होगी। लड़की ने कहा कि नही बाबू जी, शादी तब करूँगी। जब यह घर इस महल्ले में सबसे आलीशान बन जायेगा। लड़के ने कहा कि मेरे बाबूजी के पास इतना पैसा नही हैं। लड़की ने कहा कि मैं बनवाऊँगी। लड़की ने अपने माँ को टेलीफोन की। लड़की की माँ ने 50 लाख रुपया एक आदमी के माध्यम से भेजवा दी। आलीशान मकान बनने के बाद, एक बहुत बड़ी TV फ्रिज की दुकान खोलवाई। तब शादी की। यह समाज जानने के बाद भी, शादी में गया। किसीं ने कोई गलत बात नही की। सच्चाई जानने के बाद भी समाज ने यह कहना शुरू कर दिया। कि यह तो साक्षात लक्ष्मी हैं। घर की तस्वीर बदल दी।
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विनीत जर्नलिस्ट की कलम से

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