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PM मोदी के सामने बदले-बदले से नजर आये नीतीश कुमार!

PM मोदी के सामने बदले-बदले से नजर आये नीतीश कुमार!
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को बिहार का दौरा किया. मोदी के इस दौरे ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ बीजेपी के संबंधों को एक नई दिशा दी है. मोकामा टाल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जिन मुद्दों को उठाया, उससे साल 2019 में होने वाले आम चुनाव की रूपरेखा भी साफ हो गई है.
पीएम मोदी ने बिहार दौरे में जिस तरीके से विकास से संबंधित मुद्दों को तवज्जो दी, उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि साल 2019 का लोकसभा चुनाव पांच साल बनाम 60 साल के नाम पर लड़ा जाएगा. पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि बीजेपी अब बिहार में नीतीश कुमार के पिछलग्गू होने के तमगे से निकलकर लीड रोल में आ गई है.
मोकामा में पीएम मोदी की सभा के मायने
राजधानी पटना में पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी कार्यक्रम में भाग लेने के बाद पीएम मोदी ने मोकामा टाल में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया. पीएम मोदी ने मोकामा में पौने चार हजार करोड़ रुपए के विकास से जुड़े कई योजनाओं का शिलान्यास किया. जिसमें गंगा नदी पर राजेंद्र पुल के बराबर ही एक और पुल का निर्माण भी शामिल है.
पीएम मोदी ने क्या कहा?
-पीएम मोदी ने इस मौके पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की. पीएम मोदी ने कहा, 'नीतीश कुमार अच्छे सीएम हैं और वे हमेशा बिहार के विकास के बारे में सोचते रहते हैं. नीतीश कुमार और उनकी पूरी टीम को इसके लिए बधाई.'
-पीएम मोदी ने भाषण की शुरुआत भारत माता की जय बोल कर की. पीएम मोदी ने स्थानीय भाषा (मगही) में वहां मौजूद भीड़ से पूछा 'कइसन हो मोकामा के लोग, तोरा प्रणाम. हम यहां आकर धन्य भे गेलिए.'
पीएम मोदी के इस संबोधन पर स्थानीय लोगों ने जमकर ताली बजाई. पीएम मोदी ने दिवाली और छठ की अग्रिम शुभकामना भी लोगों को दे दी.
-पीएम मोदी ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर और बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह जिन्हें श्रीबाबू भी कहते हैं, उनको नमन किया. पीएम मोदी ने वहां मौजूद भीड़ को दिनकर की एक कविता भी पढ़कर सुनाई.
-कुल मिलाकर पीएम मोदी ने परशुराम, दिनकर, श्रीकृष्ण सिंह और बेगूसराय का बार-बार जिक्र कर एक खास जाति के लोगों को आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इस खास जाति के बारे में कहा जाता है कि यह बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक है.
नीतीश कुमार ने एक तीर से कई निशाने साधे
-वहीं, बिहार में दोबारा से गठबंधन में आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली सभा मोकामा टाल में करा कर एक तीर से कई निशाने साधे हैं. राजनीतिक नजरिए से देखें तो पीएम द्वारा विकास योजनाओं के शिलान्यास के बाद नीतीश कुमार इस इलाके में और मजबूत बन कर उभर सकते हैं. क्योंकि, नीतीश कुमार का भी बीजेपी का यही वोटबैंक काफी सालों तक साथ देता रहा था.
-राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यही वोटबैंक जेडीयू को कुछ साल पहले तक सत्ता तक पहुंचाने में मददगार साबित होता रहा था, लेकिन पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में यह वोटबैंक जेडीयू से छिटककर बीजेपी के पाले में चला गया. जिसको नीतीश कुमार बड़ी चालाकी से धीरे-धीरे अपने पाले में करना चाह रहे हैं.
-मोकामा टाल क्षेत्र कभी नीतीश कुमार की कर्मभूमि रही है. नीतीश कुमार इसी क्षेत्र से संबंधित बाढ़ संसदीय सीट से पांच बार लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. पिछले कुछ सालों से नीतीश कुमार के राजनीतिक विरोधी यह आरोप लगा रहे थे कि मुख्यमंत्री बनने के बाद वे इस टाल क्षेत्र को भूल गए हैं.लेकिन, सालों बाद नीतीश कुमार ने यहां के लोगों की समस्या अंगुली पर गिना कर वहां पर मौजूद लोगों का मन मोह लिया.
-नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा है कि मैं आज जो कुछ भी हूं इसी इलाके की वजह से हूं. नीतीश कुमार अपने भाषण में यह कहने से भी नहीं थके कि जब मैं हरनौत का विधायक था, तब से मोकामा टाल क्षेत्र की समस्याओं को लागातार उठाता रहा हूं.
-नीतीश कुमार के मुताबिक, 'मोकामा टाल में पानी को संचित करने और यहां के बांध को मजबूत करने के लिए सरकार ने काम शुरू कर दिया है. हम जल्द ही इस इलाके के कुछ और प्रोपोजल के साथ प्रधानमंत्री से मिलने वाला हूं.'
जाति और विकास की राजनीति में तालमेल की कोशिश
पीएम मोदी ने लगभग चार साल पहले पटना के गांधी मैदान में आयोजित एक सभा में यदुवंशियों के लिए द्वारिकाधीश से संदेश ले कर आने के बात कही थी. पटना के गांधी मैदान की रैली में मोदी ने खुले मंच से यादवों से बीजेपी के लिए वोट मांगा था.चार साल बाद वही पीएम मोदी मोकामा के टाल क्षेत्र से परशुराम के वंशजों को बीजेपी से जुड़े रहने और बीजेपी से अपनत्व दिखाने की बात कर एक तरह से उनका आभार जताया.
अब सवाल यह है कि जेडीयू का जो वोट बैंक है वही लगभग बीजेपी का भी वोटबैंक है. ऐसे में जेडीयू अपनी पूर्व की गलतियों से सीख लेकर इस इलाके के एक वर्ग के लोगों को अपना बनाने की बात कर रही है, वहीं बीजेपी इस वर्ग के प्रति आभार जताकर इन्हें किसी भी कीमत पर छिटकने नहीं देना चाहती है. बिहार की राजनीति में जातिवाद कण-कण भरा है. यहां की राजनीतिक फिजा में जाति के बिना चुनाव लड़ने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.
ऐसे में नीतीश कुमार विकास और जाति दोनो को एक साथ लेकर चलना चाह रहे हैं. नीतीश कुमार एक बार फिर से अपने पुराने रास्ते पर लौट आए हैं. लेकिन, इस बार पहले वाले नीतीश कुमार नजर नहीं आ रहे हैं जो पूर्व के एनडीए के समय हुआ करते थे. इस नीतीश कुमार की शारीरिक हाव-भाव और मोदी के सामने उनकी करबद्धता बहुत कुछ बयां कर रही है.
(फर्स्टपोस्ट.कॉम के लिए Ravishankar Singh)
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