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अशोक कुमार मिश्र
केन्द्र में मोदी सरकार के सफलतम चार वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में गुरूवार को एन डी ए की ओर से राजधानी पटना के ज्ञान भवन में भोज का आयोजन था. देश में एन डी ए के सबसे बड़े घटक दल होने और प्रधान मंत्री के पद पर भाजपा के सिरमौर के काबिज होने के चलते बिहार में भी मेजवानी का जिम्मा भाजपा के मजबूत कंधो पर था. इस लिये भाजपा नेताओं ने इस महाभोज का आयोजन भी किया था और उसके प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय जी और संगठन मंत्री नागेन्द्र जी ने स्वयं सीएम नीतीश कुमार समेत अनेक नेताओं को आमंत्रित किया था.
जैसा कि भोज के पहले एन डी ए के कई नेताओं ने भोज के बहाने केन्द्र सरकार की उपलब्धियो और 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की रणनीति पर होने वाले चर्चा की बात कही थी. स्वाभाविक था जद यू द्वारा बड़े भाई की भूमिका की चर्चा और अन्य घटक दलों के अलग -अलग दावो के कारण यह भोज मीडिया कि सुर्खियो का केन्द्र था. मीडिया कर्मी इस अवसर की बेसब्री से पतिक्षा कर रहे थे कि नीतीश इस महाभोज में शामिल होगें या नही अगर शामिल होगें तो मोदी सरकार की चार साल की उपलब्धियो पर क्या कहेगें. यानि पूरे भोज के केन्द्र बिंदू नीतीश कुमार थे. लेकिन अंत समय में उपेन्द्र कुशवाहा के नही आने की घोषणा के बाद भोज की सुर्खिया उपेन्द्र कुशवाहा भी बोटेर ले गये. खैर पतिक्षा की घड़ी खत्म हुई और नियत समय पर नेताओं के आने का सिलसिला शुरू हुआ. एनडीए घटके सभी चारो दलो के जिलाध्यक्ष , विधायक सांसद और पार्टी के प्रमुख पदाधिकारी मौजूद थे.
लेकिन यह क्या राजनीति और लोकसभा चुनाव की तैयारी की चर्चा तो दूर नेताओं ने अपने घटक दल के सहयोगियो के साथ मिलना जुलना भी मुनासिब नही समझा . नीयत समय पर मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार जी आये साथ में लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान , भाजपा के प्रदेश प्रभारी भूपेन्द्र यादव , सुशील मोदी ,नित्यानंद राय , रविशंकर प्रसाद , राधा मोहन सिंह , अश्विनी चौबे , रामकृपाल यादव के अलावे जद यू सांसद आर सी पी सिंह, हरिवंश , लोजपा सांसद चिराग पासवान समेत नीतीश मंत्रिमंडल अनेक सदस्यो ने भोज में भाग लिया . उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने मेजबान की भूमिका का बखूबी निर्वाह किया और मुख्यमंत्री समेत मौजूद कई बड़े नेताओं को खुद अपने हाथ से थाली परोसा. फिर भोज शुरू .नेताओं के भोजन की शुरूआत होते ही कार्यकर्ता भी भोजन पर टूट पड़े और सारी पोलिटिक्स धरी की धरी रह गयी. यानि यह एक महाभोज के अलावे कुछ नही रहा. राजनीति के जानकार इस भोज से खुद अचंभित है. कि अगर यह भोज एन डी के नेताओं का था तो फिर इसकी जरूरत क्या थी .
दावत ए इफ्तार के बहाने तो सभी बडे नेता आज कल एक साथ डीनर टेबुल पर बैठ ही रहे हैं.अगर कार्यकर्ताओं के लिये भोज था तो कार्यकर्ताओं की पूछ कहां थी.फिर इस भोज को एन डी ए के कार्यालयके अलावे उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के आवास या भाजपा के कार्यालय के बदले ज्ञान भवन में करने की क्या जरूरत थी. हालांकि इस सवाल का जबाव देने को तैयार नही है . यानि इतना तो तय है कि इस डीनर पोलिटिक्स में डीनर भले ही हुआ हो पोलिटिक्स पूरी तरह से गायब थी यह अलग बात है भोज में शामिल नेताओं ने एन डी ए के एक जुट होने का दावा करते हुए कहा कि इस भोज के बाद एन डी ए विरोधियो की बोलती बंद हो जायेगी .
हालांकि उनके दावे का क्या होगा यह तो आने वाला वक्त बतायेगा फिलहाल उपेन्द्र कुशवाहा ने डीनर का बायकाट कर डीनर का जाय़का तो खराब किया ही अमित शाह के नही आने पर उंगली उठाकर जले पर नमक छिड़कने में कोई कसर नही छोड़ी. फिलहाल देखिये आगे - आगे होता है क्या.