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ओह ये क्या कर दिया तूने, मिली जब खबर रसलपुर पंचायत के मुखिया के दो बेटे की हत्या कर दी गयी!
सुबह करीब जब 11 बजे आफिस पहुंचा तो कुछ देर के बाद ही बेगूसराय से खबर आयी कि रसलपुर पंचायत के मुखिया के दो बेटे की हत्या कर दी गयी और एक लाश बरामद हो गयी है. उसके तुंरत बाद ही दूसरे लाश के भी मिलने की सूचना मिली . पूरी खबर पता करने पर मालूम हुआ कि एक लाश तेघड़ा थाना क्षेत्र के रामपुर में तो दूसरा वहां से करीब 15 किलोमीटर दूर खोदाबंदपुर थाने के दौलतपुर के पास मिला और लाश का ठिकाना लगाने जा रहे दो अपराधी को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. यह खबर मिलते ही मैं चौंक गया.
हमारी आंखो के सामने रसलपुर पंचायत के मुखिया सीताराम महतो की तस्वीर आने लगी. मैं करीब 25 वर्षो से ज्यादा समय से सीताराम महतो को व्यक्तिगत रूप से जानता हूं. भगवानपुर प्रखंड मुख्यालय में उनकी छोटी सी चाय और नाश्ते की दुकान है. वह दुकान कम सामाजिक कार्यकर्ताओं का बैठका अधिक है. अत्यंत गरीब परिवार से आने वाले सीताराम की सामजिक पैठ और विनम्र स्वभाव के चलते पूरे प्रखंड के लोग उनसे परिचित है और शायद यही वजह है कि आर्थिक रूप से बेहद कमजोर होने के बावजूद उन्हें उस पंचायत की जनता ने कई बार मुखिया के रूप में चुना जहां अब भी लाठी और पैसे के बदौलत इंसाफ होता है.
लेकिन सीताराम ने अपनी कार्यकुशलता की बदौलत वहां कि जनता के दिलो पर राज किया. आप जब भी उनकी दुकान पर जाइये हजुर से स्वागत और फिर चाय और पानी लेकर हाजिर. अपने बेटो के साथ पेट भरने के लिये अब भी चाय का प्लेट धोने वाले सीताराम की आखिर किससे दुश्मनी हो सकती है कि उनके दोनों बेटो को पत्थर मार - मार कर मौत की नींद सुला दी जाती है और अपराधियो का अदम्य साहस तो देखिये कि दिन दहाड़े लाश को भी ठिकाना लगाने की कोशिश की जाती है.
आखिर कहां जा रहे हैं हम. क्या इस संसार में अब जूठन धोनेवाले को भी चैन की जिंदगी जीने की इजाजत नही है.आखिर सीताराम के घर को उजाड़ने वाले अपराधी को क्या मिला होगा. निश्चित रूप से अपराधी ने इंसानियत को खत्म करने की शपथ खायी है हाय रे जमाना तूने यह क्या कर दिया. चौथेपन में जीवन और मौत के बीच झूल रहे सीता राम को अपराधियो ने सीता की तरह ऐसा हृदय विदारक वनवास दिया जिससे शायद राम भी नही उबार पायें.