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बिहार की सियासत में अगले कुछ दिनों में तूफान के संकेत

बिहार की सियासत में अगले कुछ दिनों में तूफान के संकेत
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बिहार में फिर हो सकता है सत्ता परिवर्तन


बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू सुप्रीमो के बदले अंदाज से राजनीति में एक बार फिर से कुछ समीकरण बनने और कुछ बिगड़ने के संकेत मिल रहे हैं। पहले नोटबंदी पर अपनी राय बदलने के बाद अब नीतीश कुमार ने बाढ़ राहत को लेकर केंद्र से मिली राशि पर सवाल उठाते हुए गहरी नाराजगी जताई है। पिछले साल जुलाई में आरजेडी-कांग्रेस से महागठबंधन तोड़ने के बाद बीजेपी के साथ सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार ने पिछले हफ्ते ही असम में बीजेपी की सहयोगी असम गण परिषद के साथ मिलकर नागरिकता कानून का खुला विरोध किया था।


नीतीश कुमार के बदले तेवर पिछले महीने एनडीए की दूसरी सहयोगी पार्टी एलजेपी नेता रामविलास पासवान के साथ नजदीकी बढ़ाने और दलित और मुस्लिमों के लिए कई बड़ी योजनाओं की लॉन्चिंग से भी दिखे। इस सियासी घटनाक्रम के बीच न सिर्फ बिहार में बल्कि पूरे देश में नीतीश कुमार पर एक बार फिर नजर टिक गई है। सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार बाढ़ राहत में कटौती को लेकर केंद्र सरकार के समने अगले दो-तीन दिनों में कड़ी आपत्ति दर्ज कराने वाले हैं।

जेडीयू सूत्रों के अनुसार बिहार सरकार ने पिछले साल बाढ़ राहत के लिए 7,600 करोड़ रुपये मांगे थे, लेकिन केंद सरकार ने 1700 करोड़ रुपये आवंटित किए। फिर जब देने की बारी हुई तो इसमें 500 करोड रुपये और काट दिए गए। इसके अलावा नोटबंदी पर भी नीतीश ने पहले समर्थन के बाद अब इसमें अपना स्टैंड बदल लिया है। नीतीश कुमार ने बिहार में एक कार्यक्रम में कहा, 'मैं पहले नोटबंदी का समर्थक था, लेकिन इससे फायदा कितने लोगों को हुआ? कुछ लोग अपना पैसा एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट कर ले गए।'

उनका इशारा नीरव मोदी प्रकरण पर था। दिलचस्प बात है कि नोटबंदी के मुद्दे पर ही नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी में दोबारा नजदीकी हुई थी। नीतीश कुमार के बदले अंदाज पर बीजेपी में बेचैनी है तो जेडीयू सूत्रों के अनुसार अभी आने वाले दिन महत्वपूर्ण होंगे। सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर अब तक सबसे बड़ा आंदोलन करने वाले हैं, जो आर या पार की लड़ाई हो सकती है।
मौजूदा घटनाक्रम पर जेडीयू के सीनियर नेता केसी त्यागी ने एनबीटी से कहा कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। हालांकि उन्होंने इतना जरूर कहा कि जिस तरह बीजेपी अपने कोर अजेंडा को किसी के लिए नहीं छोड़ती है, उसी तरह जेडीयू भी किसी के लिए अपने कोर अजेंडा को नहीं छोड़ेगी। पार्टी के अंदर इस बात को लेकर भी शिकायत है कि नीतीश को बीजेपी ने वह तरजीह नहीं दी बल्कि कई मौकों पर नजरअंदाज भी किया।
नीतीश को बिग्र ब्रदर की भूमिका छिनने का डर
चाहे पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की मांग हो या फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने की बात नीतीश की बात नहीं मानी गई। इसके अलाव हाल में आए सर्वे के बाद जेडीयू के अंदर तब और चिंता बढ़ गई, जब यह बात सामने आई कि बीजेपी जेडीयू के वोट की कीमत पर अपना विस्तार कर रही है। इससे जेडीयू को बिहार में नीतीश कुमार की बिग ब्रदर वाली भूमिका खतरे में पड़ती दिख रही है।
नीतीश के रुख से बीजेपी में बेचैनी, आरजेडी-कांग्रेस में उलझन
उधर नीतीश के बदले अंदाज से जहां बीजेपी में बेचैनी है, वहीं आरजेडी और कांग्रेस भी इस मसले पर उलझन में हैं। तेजस्वी यादव ने जहां नीतीश के बदले अंदाज को यूटर्न कहा तो कांग्रेस सूत्रों के अनुसार अभी वह इस मसले पर नजर रखेगी और अपनी तरफ से कुछ नहीं बोलेगी। कुल मिलाकर बिहार की सियासत में अगले कुछ दिनों में तूफान से पहले की शांति दिख रही है।
साभार NBT


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