- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
Archived
आपको पता है नोटों की तंगी क्यों? तो जान लो सरकार की असलियत!
महेश झालानी
20 April 2018 3:07 AM GMT
x
डे ला रु ने करेंसी नोट छापने वाले कागज की सप्लाई रोकी
करेंसी कागज सप्लाई करने वाली स्विस कम्पनी डे ला रु और भारत सरकार के बीच भुगतान को लेकर जोरदार तनातनी चल रही है जिसके चलते डे ला रु ने कागज और स्याही की सप्लाई रोक दी है। अपनी पोस्ट में मैंने साफ तौर आशंका जताई कि शीघ्र ही नकदी की किल्लत सामने आने वाली है।
आज नतीजा देश के सामने है। एटीएम खाली पड़े है और बैंको ने अघोषित रूप से नकदी की निकासी पर पाबंदी लगा दी है। दरअसल जब डे ला रु का टेंडर स्वीकृत किया गया था, तब इससे एक हलफनामा लिया गया था। इस हलफनामे में डे ला रु ने इस बात का उल्लेख किया था कि वह पड़ोसी देश पाकिस्तान को कागज और स्याही की आपूर्ति नही करेगी। बावजूद इसके डे ला रु ने पाकिस्तान को भी वही कागज सप्लाई कर दिया, जो हिंदुस्तान को किया। नतीजतन नए नोट की छपाई के साथ ही पाकिस्तान में मुद्रित नकली नोट बाजार में आगये।
डे ला रु को पिछली सरकार ने इसी आधार पर ब्लेक लिस्टेड कर दिया था। नई सरकार ने इसका टेंडर क्यो स्वीकार किया, यह रहस्य है। खुफिया एजेंसी ने उस व्यक्ति को तो दबोच लिया है जिसको टेंडर पास कराने के लिए 15 फीसदी का कमीशन दिया था। लेकिन इस राशि का बंटवारा किन किन के बीच हुआ, यह भी रहस्य बना हुआ है। जब तक डे ला रु और सरकार के बीच समझौता नही हो जाता, तब तक नकदी की किल्लत रहने की संभावना है। केंद्रीय वित्त सचिव और राजस्थान कैडर के आईएएस सुभाष गर्ग खुद इस मामले को सुलझाने में लगे हुए है।
महेश झालानी
Next Story