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पतंजलि के विज्ञापनो पर लार टपकाता मीडिया आपको यह सब नही बताएगा इसलिए यही पर पढ़ लीजिए.....

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कुल मिलाकर सत्तासीन लोगो से सांठगांठ कर देश भर में मेगा फ़ूड पार्क के नाम दोगुनी चौगुनी जमीन को बेहद मामूली दर पर खरीद कर ही पतंजलि इतनी जल्दी सफलता की सीढ़ी चढ़ पाया है इस बात में किसी को शक नही होना चाहिए.

गिरीश मालवीय

लाला रामदेव देश के सबसे बड़ा जमीन हड़पने वाले बाबा है. पहले के जमाने मे बाबा छोटे बच्चों को झोले में छिपाकर उठा ले जाते है. अब मॉडर्न बाबा बड़े ठसके के साथ देश के हर छोटे बड़े राज्य में जाता है और वहाँ के मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अमले को पटा कर ज़्यादा से ज्यादा जमीन कबाड़ता है. ओर उद्योग लगाने के नाम पर दस तरह के धतकरम करता है.


लाला रामदेव धमकी दे रहे है कि मेगा फ़ूड पार्क को उठा कर दूसरी जगह ले जाएंगे लेकिन सोचने की बात तो ये है कि लेकर जाएगे कहाँ ?, उत्तराखंड के हरिद्वार मे तो फ़ूड पार्क चल ही रहा है मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, असम, ओर राजस्थान जैसे राज्यों में तो उन्होंने पहले ही फ़ूड पार्क की नींव रखी है वही अभी पूरे नही हो रहे है और सभी जगह यही सवाल उठेंगे तो आखिर जाएगे कहाँ ?

दूसरी ओर सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि जिस मेगा फ़ूड पार्क की बात की जा रही है. वह तो मात्र 50 एकड़ में खड़ा किया जाने वाला है तो ये बाकी 405 एकड़ किसलिए इन्हें सस्ती दर पर चाहिए.
ये लाला रामदेव जमीनों के कितना भूखे है इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा लीजिये कि आज से दो साल पहले जब मध्यप्रदेश सरकार ने इसे मेगा फ़ूड पार्क के लिए पीतमपुर में 45 एकड़ जमीन देने की घोषणा की तो बाबा रामदेव ने इन्वेस्टर समिट के मंच पर बैठे उद्योगपतियों को शर्मसार करते हुए मध्यप्रदेश सरकार को ताना मारा क़ि, 45 एकड़ जमीन पर तो वह कबड्डी खेलते है,.
हर जगह इन्हें आवश्यकता से अधिक जमीन चाहिए और इस जमीन का टाइटिल भी अपने नाम पर रजिस्टर्ड चाहिए ओर साथ ही मेगा फूड पार्क की स्थापना के लिए दी जाने वाली केंद्र सरकार 150 करोड़ रुपये सब्सिडी भी ये हड़प जाएंगे.
उत्तर प्रदेश में भी यही बात हुई है ......सरकारी स्कीम में मनमाने परिवर्तन करिए ओर अधिक से अधिक जमीन पर कब्जा कीजिये ये इनकी मोडस ऑपरेंडी है.जो जमीन नोएडा में बाबा रामदेव की कंपनी को दी गई, वह पहले कई किसानों को 30 साल के पट्टे पर दी गई थी. बिना इजाजत अखिलेश सरकार में लाला रामदेव ने वहाँ 6000 पेड़ कटवा दिए. इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस भी चल रहा है. लेकिन यहाँ कोई पर्यावरण प्रेमी इस बात का संज्ञान लेना नही चाहता.


अब आते हैं नवीनतम घटनाक्रम पर .....कल बालकृष्ण ने ट्वीट किया कि आज ग्रेटर नोएडा में केन्द्रीय सरकार से स्वीकृत मेगा फूड पार्क को निरस्त करने की सूचना मिली.श्रीराम व कृष्ण की पवित्र भूमि के किसानों के जीवन में समृद्धि लाने का संकल्प प्रांतीय सरकार की उदासीनता के चलते अधूरा ही रह गया पतंजलि ने प्रोजेक्ट को अन्यत्र शिफ्ट करने का निर्णय लिया.


इस ट्वीट के जवाब में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बालकृष्ण से देर रात टेलीफोन पर बात की. इस दौरान उन्होंने संबंधित नीति के तहत उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया.
अब आप इस खेल को समझिये जो बालकृष्ण खेल रहे हैं. सीधी बात तो यह है कि वह चाहते हैं कि योगी सरकार 50 एकड़ की भूमि के टाइटल पतंजलि के नाम करने के बहाने अधिक से अधिक भूमि का टाइटिल ही पतंजलि के नाम कर दे. पतंजलि ग्रुप के प्रवक्ता एस के तिजारावाला बता रहे है कि 'नोएडा में बनने वाले पतंजलि फूड पार्क की जमीन के टाइटल सूट के लिए केंद्र सरकार की ओर से दो बार नोटिस भेजा गया था. लेकिन योगी सरकार की ओर से पतंजलि को टाइटल सूट नहीं सौंपा गया.
अब दबाव में आकर योगी सरकार केबिनेट के बैठक में इस जमीन का टाइटिल सौपने को राजी हो गयी है लेकिन सब मिला जुला खेल हैं.
ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के मन्दसौर का है. जहाँ प्रस्तावित फ़ूड पार्क को बनाने वाली कम्पनी ऐसा ही चाह रही थी जैसे लाला रामदेव चाह रहे हैं. लेकिन स्थानीय कलेक्टर ने जमीन का नामांतरण कंपनी के नाम पर करने से इंकार कर दिया ओर इस मामले को लेकर वह हाईकोर्ट भी चले गए , मामला कोर्ट में होने से जब तक इस पर फैसला नहीं होता, फूड पार्क का काम आगे नहीं बढ़ेगा . लेकिन यह मामला पतंजलि से संबंधित नही था इसलिए यह सम्भव हो पाया यहाँ तो केंद्र और राज्य सरकारें ओर मीडिया तीनो ही गोदी में बैठे हुए हैं इतनी बात करने की किसी की हिम्मत ही नही है.
कुल मिलाकर सत्तासीन लोगो से सांठगांठ कर देश भर में मेगा फ़ूड पार्क के नाम दोगुनी चौगुनी जमीन को बेहद मामूली दर पर खरीद कर ही पतंजलि इतनी जल्दी सफलता की सीढ़ी चढ़ पाया है इस बात में किसी को शक नही होना चाहिए.

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