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तो यह है हकीकत मोदी सरकार के इस बड़े झूठ की!

तो यह है हकीकत मोदी सरकार के इस बड़े झूठ की!
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देश की अर्थव्यवस्था चरमरा रही है लेकिन यह आंकड़े कहाँ से आते है. अब तो देश का भगवान ही मालिक है.
आपको याद होगा कि कुछ दिनों पहले बहुत शातिराना तरीके से इस ख़बर को फैलाया गया कि मोदी सरकार ने चार सालों में 9 लाख करोड़ NPA हुई रकम में 4 लाख करोड़ रुपये की वसूली कर ली है. भक्त समुदाय ने इस खबर को हाथो हाथ लिया था, अनेक भाजपा नेताओं ने इस सम्बंध में ट्वीट किए थे, दे दनादन दे दनादन लिंक पेस्ट किये जा रहे थे. उस वक़्त मैंने इस ख़बर का एनेलिसिस करते हुए एक पोस्ट लिखी थी कि यह सम्भव ही नही है क्योंकि जिस आधार पर वह खबर लिखी गयी हैं वह पूर्ण रूप से भ्रामक ओर तथ्यों के विपरीत है.
आज पूरी तरह से इस झूठ की पोल खुली है इस 4 लाख करोड़ की वापसी को लेकर रिजर्व बैंक ने भी अपने आंकड़े जारी कर दिए है रिजर्व बैंक के मुताबिक पिछले चार साल में मात्र 29 हजार करोड़ की वसूली हो पाई है, पिछले चार वित्तीय वर्ष (2014-2018) में 21 सार्वजनिक बैंक महज 29,343 करोड़ रुपये की वसूली कर पाए हैं. जबकि इस दौरान बैंकों ने 2.72 लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्ज को राइट ऑफ कर दिया ओर यह जानकारी संसद में स्वयं वित्त राज्य मंत्री ने दी है.
यह है हकीकत मोदी सरकार के झूठ की

खुश हो जाइए , लड्डू पेड़े बटवा दीजिए क्योंकि दो साल में 9 लाख करोड़ में से 4 लाख करोड़ रुपये का एनपीए वापस आ गया है बड़े बड़े अखबारों में एक अनजान अधिकारी के हवाले से यह खबर छाप दी गयी ओर यह खबर बड़ी तेजी से फैला दी गयी. लोगो ने भी बिना सोचे समझे विश्वास कर लिया कि मोदीजी ने वाकई चमत्कार कर दिया.
आइये इस ख़बर की सच्चाई परखते है
हेडलाइन के अंदर की खबर देखी तो कुछ यूं थी कि उद्योग संगठन सीआईआई की ओर से करवाए गए एक सम्मेलन में कंपनी मामलों के मंत्रालय में सचिव इंजेती श्रीनिवास ने यह जानकारी दी है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आईबीसी के तहत समाधान के लिए पिछले साल जून में 12 खातों का जिक्र किया था, जिनमें कुल फंसे हुए कर्ज (एनपीए) की 25 फीसदी थी। उन्होंने कहा कि इन मामलों में अच्छे परिणाम आए हैं, "अगर पांच-छह अच्छे नतीजे मिल रहे हैं तो इससे घरेलू और विदेशी निवेशकों का व्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा।"
यानी कि 4 लाख करोड़ रुपये वापस आने की पूरी बात इन पाँच छह अच्छे नतीजों को बेस में रख कर की गयी है जो कि वास्तव में अभी राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में चल ही रहे हैं कोई ठोस नतीजा अभी बाहर नही आया है चलिये फिर भी इन मामलों को एक बार देख लिया जाए.
मामला कुछ यूं है कि बैंकों में बेहद गंभीर हो चुकी फंसे कर्जे (एनपीए) की समस्या के समाधान के लिए रिजर्व बैंक की तरफ से गठित अंतर सलाहकार समिति (आइएसी) ने 13 जून, 2017 को 12 एनपीए खाताधारकों से इंसॉल्वेंसी व बैंक्रप्सी कोड (आईबीसी) के तहत कर्ज वसूलने की इजाजत बैंकों को दी थी इसमें एस्सार स्टील, भूषण स्टील, इलेक्ट्रोस्टील, एमटेक ऑटो, भूषण पावर, आलोक इंडस्ट्रीज, मोनेट इस्पात, लैंको इंफ्रा, इरा इंफ्रा, जेपी इंफ्राटेक, एबीजी शिपयार्ड और ज्योति स्ट्रक्चर्स शामिल हैं। इनमें से नौ कंपनियों का मामला एनसीएलटी को सौंपा जा चुका है जिसकी बात इजेती श्रीनिवास कर रहे थे. इन कम्पनियो के पास 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज फंसे पड़े हैं.
इन सभी खातों को मिलाकर कुल डूबे कर्ज की रकम लगभग 1,75,000 करोड़ रुपए है जो कि केयर रेटिंग्स के मुताबिक दिसंबर 2016 तक देश के सभी निजी और सरकारी बैंकों का मिलाकर कुल 6,97,403 करोड़ रुपए के एनपीए का करीब एक चौथाई है. यानी सबसे पहले तो आप ये समझिए कि राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) कुल अभी 12 में से सिर्फ 9 मामलों की सुनवाई कर रहा जो लगभग मोटे अनुमान से 1 लाख 31 हजार करोड़ के मामले है
अब एक बात बताइये कि सिर्फ 1 लाख 31 हजार करोड़ के रकम की सिर्फ सुनवाई चल रही हैं कोई फैसला अभी बाहर नही आया है तो 4 लाख करोड़ वापस मार्केट में कैसे वापस आ जायेगा
अब एक ओर भक्त विदारक खबर सुन लीजिए जो बिजनेस स्टैंडर्ड ने छापी हैं इस खबर के अनुसार आरबीआई की ओर से एनपीए की पहली सूची में शामिल 12 कंपनियों में से 9 मामलों के निपटान में बैंकों को अपने कुल बकाया कर्ज में औसतन 50 से 80 फीसदी की चपत लग सकती है यह आकलन इन कंपनियों की बोली प्रक्रिया और पांच मामलों में लगाई गई बोली के आधार पर किया गया हैं.
यानी अभी जिन चार पांच कंपनियों के दीवालिया होने में सरकार के अनुसार 'अच्छे नतीजे' मिल रहे हैं उसमें भी बैंको को अपने बकाया में 50 से 80 फीसदी रकम से हाथ धोना पड़ रहा है इसे मूर्ख सरकार के मूर्ख अधिकारी अपनी उपलब्धि बता रहे हैं ओर भक्त मंडली सियारों की टोली की तरह आवाज से आवाज मिला कर ...हुआ.... हुआ.... कर रही हैं,
इस डूबती अर्थव्यवस्था का अब भगवान ही मालिक है
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