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इंडो-US न्यूक्लियर डील हुई थी 2005 में लेकिन लेकिन USA अभी तक हमको न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप याने NSG का मेम्बर नही बनवा पाया

Shiv Kumar Mishra
13 Oct 2023 1:07 PM GMT
इंडो-US न्यूक्लियर डील हुई थी 2005 में लेकिन लेकिन USA अभी तक हमको न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप याने NSG का मेम्बर नही बनवा पाया
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मनीष सिंह

इंडो-US न्यूक्लियर डील हुई थी 2005 में लेकिन USA अभी तक हमको न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप याने NSG का मेम्बर नही बनवा पाया है। बाकायदा डील हुई थी न,हाथ मिला मिला के?? क्या हुआ??? भारत दो चार देशों से अलग अलग समझौता करके काम चला रहा है। लेकिन फिसाइल मटेरियल की कमी के कारण परमाणु बिजलीघरों के काम अटके हैं।

भक्त लोग मानने को तैयार नही। कभी आइजनहॉवर से भारत को UN का परमानेण्ट मेम्बर बनाते घूम रहे है। कभी केनेडी नेहरू के पैरों में गिरकर गिड़गिड़वा रहे है कि वीटो पॉवर ले लो। कहाँ कहाँ की बयानबाजी की कटिंग ले आए रहे है। ये साबित करने को, कि लेकिन नेहरू तो अड़ा था। नही, मैं वीटो पॉवर नही लूंगा। मेरे को एडविना चाहिए।

अरे पगलों। बेसिक समझो कि USA अपने स्तर से शुरू कर सकता है, जैसे न्यूक्लियर डील में किया। लेकिन NSG हो, या UN... ये मल्टी लैटरल बॉडी है। वहां अकेले अमेरिका से कुछ होने हवाने वाला नही। अन्य देशों का समर्थन चाहिए, किसी दूसरी पॉवर का वीटो नही होना चाहिए। अगर ये नही हुआ, तो चाहे केनेडी कूदे, या बुश... सब फालतू की बात है।

अमेरिका टाइम टू टाइम, साउथ अफ्रीका, ब्राजील, भारत, ऑस्ट्रलिया और जापान को परमानेंट मेम्बर बनाने की पुड़िया सुंघाकर उल्लू बनाता रहता है। काम निकलवाते रहता है। उनका रोज का धंधा है, तुम इतना होप्फुल न हुआ करो।। मोबाइल धरे हो, गूगल करो। बुद्धि धरे हो, तो यूज करो

लेखक के अपने निजी विचार है जो उसने ट्विटर पर शेयर किए है

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