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मोई जी ....कुछ कीजिए मोई जी.. नहीं है तो इन बुरी खबर देने वालों का टेंटुआ ही दबा दीजिए!

मोई जी ....कुछ कीजिए मोई जी.. नहीं है तो इन बुरी खबर देने वालों का  टेंटुआ ही दबा दीजिए!
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मोई जी ....कुछ कीजिए मोई जी, ........देखिए ये कैसी कैसी खबरे आ रही हैं कुछ कीजिए प्रभु .......एक काम कीजिए ऐसी बुरी बुरी खबर देने वालो का टेंटुआ ही दबा दीजिए, बताइये बोल रहे हैं कि नोटबन्दी फेल हो गयी, कैश की जमाखोरी फिर शुरू हो गयी हैं
रिजर्व बैंक ने नया डेटा जारी कर बताया है कि लोग कैश की जमाखोरी फिर करने लगे हैं, ये उर्जित को कुछ बोलिए प्रभु, ऐसी रिपोर्ट बाहर ही न आने दे, आपके विरोधी हमे बहुत चिढ़ाते है और हम भी 70 साल की कैसेट बजा बजा कर थक चुके हैं
कोई रॉयटर्स रॉयटर्स करके है जो बता रहा है कि लोग जितना पैसा निकाल रहे हैं उतना खर्च नहीं कर रहे हैं जिससे पता चलता है कि कैश की जमाखोरी नोटबंदी से पहले वाले हाल पर ही है ..........इस राइटर का कुछ कीजिए ! मुझे तो लगता है कि यह वही अवार्ड वापसी गैंग वाले राइटर है, साले देश मे असहिष्णुता फैला रहे हैं, आप बोले तो फिर से इनकी बजाना शुरू कर दे ?
कोई बता रहा था कि नोटबंदी के बाद देश के बैंकों को सबसे अधिक मात्रा में जाली नोट मिले, वहीं इस दौरान संदिग्ध लेनदेन में भी 480 प्रतिशत से भी अधिक का इजाफा हुआ ये क्या है प्रभु
आपके विरोधी हमे रोज पूछ पूछ कर परेशान करते है, बोलते हैं,......... कितने काले धन वालो पर कार्यवाही हुई ? नकली नोट बन्द हो गए क्या ?, आतंकवाद और नक्सलवाद खत्म हो गया क्या ? , डिजिटल इंडिया सफल हो गया क्या ?, हम बस मुँह छुपा कर चुपचाप निकल लेते हैं
अरे आपके पास तो वो अर्थक्रान्ति वाला अनिल बकलोल नाम का अनर्थशास्त्री है उस से ही पूछ लीजिए कि आगे क्या करना है ?.....मैं तो कहता हूँ कि एक बार फिर से नोट बन्द कर दीजिए और इस बार 2000 के नोट भी मत निकालिएगा सीधे 5000 ओर 10000 के नोट निकालिएगा,
आपका शुभचिंतक
गिरीश मालवीय की कलम से
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