- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
Archived
प्रधानजी के खासमखास मेहुलभाई चोकसी ने कहा है कि उन्हें मॉब लिंचिंग से डर लगता है, जानते हो क्यों?
अभिषेक श्रीवास्तव जर्न�
28 Jun 2018 4:28 PM GMT
x
(कबीर जयन्ती पर एक उलटबांसी) अभिषेक श्रीवास्तव
सुधीर मिश्रा की फिल्म ''हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी'' का एक दृश्य है। भोजपुर में जातिगत संघर्ष की पृष्ठभूमि में एक कॉमरेड वर्ग संघर्ष चला रहा है। वह कुछ दलितों को बड़ी मेहनत से प्रेरित कर के गांव के सामंत के यहां धावा बोलता है। लोग उच्च जाति के सामंत को घेर लेते हैं। उलटा सीधा बोलते हैं। सामंत उन्हें अपनी बात समझाने की कोशिश में हैं। माहौल में तनाव बढ़ता है। अचानक सामंत को दिल का दौरा पड़ जाता है। सही में या झूठ में, पता नहीं लेकिन वह अपनी छाती पर हाथ रखकर दर्द से कराहने लगता है। जो लोग वर्ग संघर्ष से प्रेरित होकर वहां लाठी-डंडा लेकर पहुंचे थे, वे सामंत को ढहता देख पिघल जाते हैं। वही उसे टांग कर गाड़ी में बैठाते हैं और अस्पताल भिजवाते हैं।
याद करिए, नोटबंदी में जापान की एक सभा में क्या हुआ रहा। प्रधानजी ने दोनों हथेलियां रगड़ते हुए इस देश के सौ करोड़ मजलूमों पर तंज कसा था- ''आपको भी पता है कि अचानक आठ तारीख को रात को आठ बजे... (आवाज़ मॉड्युलेट करते हुए) पांच सौ और हज़ार के नोट... (एक हथेली को दूसरे पर मारते हुए खल्लास के अंदाज़ में सरका देना, समवेत् स्वर में ठहाके)... घर में शादी है? पैसे नहीं हैं (दोनों अंगूठों को हिलाते हुए ठेंगा दिखाने के अंदाज़ में, फिर ठहाके)।'' सौ करोड़ गरीब समझ ही नहीं पाए कि ये क्या हुआ। समझे, तो चुप लगा गए।
आज फिर वही हुआ है। प्रधानजी के खासमखास मेहुलभाई चोकसी ने कहा है कि उन्हें मॉब लिंचिंग से डर लगता है इसलिए वे भारत नहीं आएंगे। मॉब लिंचिंग किसकी हो रही है? मेहुलभाई दलित हैं कि मुसलमान? क्या इस देश में किसी अमीर सेठ को मॉब लिंच किया गया है आज तक? मेहुलभाई अच्छे से जानते हैं इस देश का चरित्र। बिलकुल मोटाभाई की तरह। कल उन्होंने गरीबों का मज़ाक उड़ाया था नोटबंदी के बहाने, आज इन्होंने मारे जा रहे मुसलमानों और दलितों का मज़ाक उड़ा दिया। किसी को कोई फ़र्क पड़ा?
इसे थोड़ा खींच कर देखिए। प्रधानजी की जान को 'अज्ञात' से खतरा है। 'अज्ञात' का खतरा वे समझते भी हैं क्या होता है? जाकर पूछें बंबई के फुटपाथ पर पैदल जा रहे उस बदकिस्मत गरीब से जिसके सिर पर चार्टर्ड विमान गिर गया। इसे कहते हैं 'अज्ञात'!
इस देश में पहली बार ऐतिहासिक रूप से गरीबों का मज़ाक बनाया जा रहा है। इस देश के गरीब पहली बार इतनी खतरनाक चुप्पी साधे हुए हैं कि अमीरों को उन्हें याद दिलाना पड़ रहा है कि तुम मुसलमानों और दलितों के साथ कभी-कभार हमें भी मार सकते हो।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार है
अभिषेक श्रीवास्तव जर्न�
Next Story