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कठुआ मामले पर हंगामा करने वालों को जवाब देने की जरुरत!

कठुआ मामले पर हंगामा करने वालों को जवाब देने की जरुरत!
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जो भाजपा मक्का मस्जिद मामले के फैसले पर आक्रामक है वह कठुआ कांड पर खामोश क्यों है यह समझ से परे है।
अवधेश कुमार
कठुआ मामले को देश भर में जो रंग दिया जा रहा है उससे साफ है कि इसके पीछे कुछ शक्तियां लगीं हुईं हैं जिनका इरादा वास्तविक अपराधियों को पकड़वाने और सजा दिलवाने से ज्यादा इसे सांप्रदायिक रुप देना है। वे ऐसा क्यों चाहते हैं यह बताने की आवश्यकता नहीं। आखिर केरल में इतना बड़ा प्रदर्शन क्यों हो रहा है? दिल्ली में इतनी बड़ी भीड़ क्यों एकत्रित हुई? आश्चर्य की बात है कि जम्मू के बाहर भाजपा में इसे लेकर कोई हलचल नहीं है। जो भाजपा मक्का मस्जिद मामले के फैसले पर आक्रामक है वह कठुआ कांड पर खामोश क्यों है यह समझ से परे है।

मेरा मानना है कि जिस तरह से मामले को बिल्कुल गलत रंग देते हुए देश भर में हंगामा खड़ा किया जा रहा है उसके समानांतर अहिंसक तरीके से जवाबी प्रदर्शन जगह-जगह आयोजित होना चाहिए। इसे संगठित और असंगठित दोनों तरीकोें से किया जा सकता है। आखिर पूरी दुनिया की मीडिया में हमारे यहां से ही यह झूठ रिपोर्ट जा रही है कि जम्मू के हिन्दू एक मुस्लिम बालिका के बलात्कारियों और हत्यारों के साथ खड़े हैं। इस झूठ को तोड़ना जरुरी है।

मेरा इस मामले में यह भी सुझाव है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एक प्रतिनिधिमंडल जम्मू भेजें। वो कठुआ के घटनास्थल का दौरा करे। सभी पक्षों से बात करे। उसके बाद जो उसे समझ में आए उसके अनुसार अपनी रिपोर्ट दे। उस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई हो। पार्टी सरकार तक उस रिपोर्ट को पहुंचाए और अपनी अनुशंसा करे। अगर भाजपा ऐसा नहीं करती है तो माना जाएगा कि उसने जम्मू के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है।

जम्मू के लोग केन्द्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग सीबीआई से जांच कराने की है। निस्संदेह, यह प्रदेश सरकार का विशेषाधिकार है। उसे ही इसके लिए अनुशंसा करनी होगी। किंतु गृह मंत्री और उसके बाद प्रधानमंत्री तो मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती से इस बावत बातचीत कर ही सकते हैं। मेहबूबा को यह समझाया जाए कि लोगों की मांग के अनुरुप मामले को सीबीआई को सौंपने के लिए वो तैयार हों। आखिर सीबीआई भी तो दोषियों का ही गिरेबान पकड़ेगी। अगर मेहबूबा फिर भी तैयार नहीं होतीं हैं तो फिर भाजपा उनके साथ राजनीतिक संबंधों पर पुनर्विचार करे।

हम देख रहे हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर स्थिति की बिल्कुल गलत तस्वीर के साथ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया है। मामले को चंडीगढ़ स्थानांतरित करने की अपील हो चुकी है। वहां मामला लड़ने वाली वकील और मृतका के परिवार की सुरक्षा का भी सवाल उठाया गया है। यह पूरी तरह झूठ है। लोग अहिंसक विरोध के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। किसी ने हिंसा नहीं की है। मेरा मानना है कि कुछ वकीलों को उच्चतम न्यायालय में मामले कीे सीबीआई से जांच कराने की अपील के साथ जाना चाहिए। सीबीआई उच्चतम न्यायालय की मौनिटरिंग में छानबीन और कानूनी कार्रवाई कर सकती है।
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