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तमिलनाडु : पलानीसामी सरकार को राहत, 18 विधायकों की सदस्यता का मामला बड़ी बेंच को जाएगा!

Arun Mishra
14 Jun 2018 9:03 AM GMT
तमिलनाडु : पलानीसामी सरकार को राहत, 18 विधायकों की सदस्यता का मामला बड़ी बेंच को जाएगा!
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फैसला विभाजित रहने के बाद अब निर्णायक फैसला तीन जजों की बेंच करेगी। इस फैसले से राज्य सरकार गिरने का खतरा फिलहाल टल गया है।

चेन्नई : मद्रास हाई कोर्ट गुरुवार को 18 विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने के मामले में लगभग पांच महीने के इंतजार के बाद फैसला सुना दिया है। इस मामले में हाई कोर्ट की दो जजों की बेंच विभाजित फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट चीफ जस्टिस ने जहां स्पीकर द्वारा विधायकों की सदस्यता रद्द करने के फैसले को बहाल रखा, वहीं दूसरे जस्टिस सुंदर ने विधायकों की सदस्यता रद्द करने के खिलाफ फैसला सुनाया। इस फैसले से पलानीसामी सरकार को स्थाई राहत मिल गई है।

फैसला विभाजित रहने के बाद अब निर्णायक फैसला तीन जजों की बेंच करेगी। इस फैसले से राज्य सरकार गिरने का खतरा फिलहाल टल गया है। गौरतलब है कि बेंच अपना फैसला पहले ही रिजर्व कर चुकी थी। फैसला आने से पहले मुख्यमंत्री ई पलनिसामी अपने निवास पर सीनियर मंत्रियों के साथ बैठक करते रहे। वह फैसला आने की स्थिति में अलग-अलग पहलुओं पर विचार कर रहे थे। दरअसल, अगर कोर्ट ने विधायकों की सदस्यता रद्द करने के फैसले को खारिज कर दिया होता तो सरकार को फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ता, जिसमें उसके गिरने के आसार नजर आ रहे थे।

फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए टीटीवी दिनकरन ने कहा कि फैसले ने जनता विरोधी सरकार को कुछ और महीनों के लिए जिंदगी दी है। उन्होंने कहा कि एक जज ने स्पीकर के फैसले को गलत बताया है। उन्होंने चीफ जस्टिस के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने एक से मामले में पुडुचेरी और तमिलनाडु के लिए अलग फैसला कैसे दिया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के लोग इस फैसले को देख रहे हैं और इसके पीछे की सच्चाई को समझ रहे हैं। इसलिए वह उनके साथ खड़े हैं।

बता दें कि 18 सितंबर 2017 को तमिलनाडु विधानसभा के स्पीकर पी. धनपाल ने 18 एआईएडीएमके विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी। दरअसल, एआईएडीएमके के विधायकों ने राज्यपाल से मिलकर पलनिसामी सरकार में अविश्वास जाहिर किया था। इस पर पार्टी के चीफ विप एस. राजेंद्रन ने स्पीकर से शिकायत की थी।

सदस्यता रद्द होने के बाद विधायक हाई कोर्ट चले गए थे। 20 सितंबर 2017 को हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को इन विधायकों की सीटें खाली घोषित करने से रोक दिया था। इसके बाद से ही विधायकों की सदस्यता को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही थीं।

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