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LIVE: आरुषि हत्याकांड मामले में हाईकोर्ट का थोड़ी देर में आएगा फैसला

Vikas Kumar
12 Oct 2017 8:30 AM GMT
LIVE: आरुषि हत्याकांड मामले में हाईकोर्ट का थोड़ी देर में आएगा फैसला
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नई दिल्ली : इलाहाबाद हाईकोर्ट आज देश का सबसे चर्चित आरुषि हत्याकांड पर फैसला सुना सकता है। इस फैसले की सुनवाई में करीब नौ साल लग गए। तमाम सबूत इकठे किए और दर्जनों गवाहों से पूछताछ हुई। जिसके बाद आज हाईकोर्ट अपना फैसला सुना सकता है।

यह एक ऐसा मर्डर केस है जिसमें मर्डर के दिन से लेकर अब तक केस में कई चौकाने वाली जानकारियां सामने आती रही है। आरुषि हत्याकांड में हत्या से लेकर आज तक कि कुछ जानकारियों पर नजर डालते है।

वर्ष 2008 में आरुषि तलवार और हेमराज की हत्या हुई थी। 16 मई 2008 को नोएडा के रहने वाले डॉ राजेश की बेटी आरुषी तलवार (14 साल) अपने घर पर मर मिली थी उसका गला कटा था। इसका शक नौकर हेमराज पर जा रहा था।

वही हेमराज का शव अगले दिन मिला उसका भी गला कटा था। नौकर हेमराज का शव घर के छत पर मिला था। 22 मई 2008 को पुलिस इस हत्या के बारे में कहा कि यह आनर किलिंग हो सकता है। इस आधार पर आरुषि के पिता डॉ राजेश तलवार और माँ डॉ नुपुर तलवार से पूछताछ की गई।

23 मई को आरुषि और नौकर हेमराज के हत्या में डॉ राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। 27 मई को आरुषि कि माँ डॉ नुपुर तलवार ने सीबीआई की जांच की मांग की। 31मई को आरुषि-हेमराज मर्डर केस की जांच सीबीआई को दे दी गई।

सीबीआई ने आरुषि हत्याकांड में 1 जून 2008 को एफ़आईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी। सीबीआई ने डॉ राजेश तलवार को हिरासत में ले लिया और उनसे पुछ-ताछ शुरू कर दी। हिरासत में लिए गए डॉ राजेश तलवार के कम्पाउंडर कृष्णा का 10 जून को लाई डिटेक्टर टेस्ट किया गया। फिर उसे बेंगलुरु में नारको टेस्ट के लिए ले जाया गया। दो और नौकरों से भी पूछताछ सीबीआई ने की।

सीबीआई ने 11 जुलाई को कहा कि डॉ राजेश तलवार निर्दोष है। असली कातिल कम्पाउंडर कृष्णा को बताया लेकिन उसके खिलाफ कोई सबूत नही मिल और वह सितम्बर 2008 को उसे रिहा कर दिया गया। आरुषि हत्याकांड की जाँच सितम्बर 2009 में सीबीआई की दूसरी टीम ने ले ली। 2010 में सीबीआई को कोई सबूत न मिले के करण जाँच को बंद करने का निर्णय किया लेकिन कोर्ट ने इसे बंद करने से मना कर दिया।

सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ 2011 में डॉ राजेश तलवार ने लोअर कोर्ट में पिटीशन दाखिल किया। आरुषि तलवार और हेमराज हत्याकांड के चार साल बाद डॉ नुपुर तलवार ने कोर्ट में सरेंडर किया और डॉ नुपुर तलवार को जेल जाना पड़ा।

26 नवंम्बर 2013 को आरुषि और हेमराज हत्याकांड का फैसला हुआ। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस लाल ने अपने 208 पन्नों के फैसले में आरोपी राजेश और नूपुर तलवार को दोषी करार दिया। 2014 को डॉ राजेश और डॉ नुपुर तलवार ने सीबीआई के फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी।

अगस्त 2017 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा आरुषि हत्याकांड में डॉ तलवार की अपील दुबारा सुनेगे और सितम्बर 2017 को इलाहाबाद कोर्ट ने आरुषि और हेमराज हत्याकांड के फैसले को सुरक्षित रहेगी। जिसके बाद आज 12 अक्टूबर 2017 को इलाहबाद हाईकोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।


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