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अपन तो कन्फ्यूज़्ड हैं - झाड़ू सर जी के पास है, हाथ कांग्रेस के पास और सफाई मोदी जी कर निकलते हैं - कुमार विश्वास
शिव कुमार मिश्र
6 Jun 2018 5:17 PM IST
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दरवाज़ा पीटते हाजी पर मैं चिल्लाया- "भाई जब घंटी का बटन लगा है तो काहे सुबह-सुबह गेट का तबला बजाए हो?" बोले- "अरे महाकवि! जान-बूझकर बटन नहीं दबाया, सुना है कोई भी बटन दबाओ, वोट भाजपा को चला जाता है।"
डॉ कुमार विश्वास द्वारा लिखित
दरवाज़ा पीटते हाजी पर मैं चिल्लाया- "भाई जब घंटी का बटन लगा है तो काहे सुबह-सुबह गेट का तबला बजाए हो?" बोले- "अरे महाकवि! जान-बूझकर बटन नहीं दबाया, सुना है कोई भी बटन दबाओ, वोट भाजपा को चला जाता है।" फिर खींसे निपोरते हुए बोले- "हर जगह नोटा से टक्कर ले रहे तुम्हारे ही किसी छलिया यार से सुना था।" मैंने कहा- "लेकिन, हालिया उप चुनावों में तो हर जगह तो ऐसा नहीं हुआ।" हाजी बोले- "ये ईवीएम भी बड़ी छलिया है। हर चुनाव में यार बदल लेती है। जिसके सिर पर सेहरा नहीं पड़ता, वही बिचारी को बदचलन कहने लगता है। इस बार कैराना में तो बिचारी ने इतनी लानत-मलामत सही कि लाज की गर्मी में पिघल-पिघल गई।"
मैंने कोंचा- "हाजी, ईवीएम में छेड़छाड़ क्या सच में होती है?" बोले- "देखो महाकवि, मैं क्या जवाब दूं, बिचारी ईवीएम भी कन्फ्यूज़ है - कभी 'हाथ' के नीचे कांग्रेसी सरकार के बटन दबवा रही बिचारी पर उन दिनों भाजपाई भीष्म आडवाणी और जीवीएल ने किताब तक लिख मारी थी और आज कांग्रेसियों को इतना डर किम जोंग के बटन से नहीं लगता जितना ईवीएम के बटन से लगता है। पर ये ईवीएम इतनी ढीठ है कि मान-अपमान से ऊपर उठ कर यूं ही 'छिड़ती' रहती है।"
मैंने आगे कहा, "पर हाजी अंतर क्या आया? बेचारी मतपेटी और ईवीएम, दोनों ही इन लम्पट नेताओं के अत्याचार की शिकार हैं - मतपेटी लुटती थी, ईवीएम छिड़ती है।" हाजी ने दाढ़ी खुजलाई, "मतलब चुनाव आयोग को पुल्लिंग इंतज़ाम करना चाहिए?"
मैंने कहा, "छी-छी हाजी! तुम्हारी पुरुषवादी सोच न गई अब तक।" बोले, "और लो यार! अरे हम तो ईवीएम के साथ हैं। तुम्हारे नवपतित जैसों का क्या है? नोटा से नीचे जाकर अगर बैलट से भी हार गया तो फिर क्या वोटर्स के मुंह पर कान लगाकर सुनेगा कि 'नहीं दिया तुझे वोट', तब मानेगा?" फिर गंभीर होते हाजी अचानक अपने लहजे में वापस लौटे, "महाकवि! वोट डालने के बाद इसमें जो 'बीप' सुनाई देती है, उसी बीप को वोटर पांच साल तक 'वीपता' रहता है। मैं तो हर बार बटन दबाने के बाद बड़ी देर तक अपनी उसी कालिख लगी उंगली को निहारता रहता हूं, जिससे बटन दबाता हूं।"
मैंने पूछा, "काहे?" उन्होंने फ़रमाया, "यही सोच कर कि मैंने देश की राजनीति पर उंगली उठाई है या राजनीति ने मुझ पर?" फिर आह भरकर बोले, "महाकवि! अब तो इस राजनीति में जब भी कुछ घटिया घटता है। मैं सारा दोष इस देश के मुझ जैसे अंगुलबाज़ों पर ही धर देता हूं, जिनके हिस्से हर चुनाव में बस बटन दबाना आता है और फिर पांच साल खुद दबना। मुझे तो लगता है इस देश को ईवीएम यानि एजुकेटेड वोटिंग मासेज़ की ज़्यादा जरूरत है। बाकी अपन तो कन्फ्यूज़्ड हैं - झाड़ू सर जी के पास है, हाथ कांग्रेस के पास और सफाई मोदी जी कर निकलते हैं।"
"नेता को मजूरों की किसानों की क्या ख़बर
चिंता में मन दबा है, कर्ज़े में मन दबा है
वोटर का ख़ून पीती है ये ईवीएम चाहे
इनका बटन दबा है कि उनका बटन दबा है।"
साभार दैनिक भास्कर ++
शिव कुमार मिश्र
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