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जेपी ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, 10 मई तक 200 करोड़ जमा करने का दिया निर्देश

Vikas Kumar
21 March 2018 8:25 AM GMT
जेपी ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, 10 मई तक 200 करोड़ जमा करने का दिया निर्देश
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जेपी ग्रुप को फटकार लगाते हुए 200 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जेपी ग्रुप को फटकार लगाते हुए 200 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपना पैसा वापस मांग रहे 2,800 घर खरीदारों की मूल राशि के कुछ हिस्से के भुगतान के तौर पर यह रकम जमा कराने का आदेश दिया है।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी. वाय. चंद्रचूड़ की पीठ ने 15 अप्रैल तक 100 करोड़ रुपये की पहली किस्त और उसके बाद 10 मई को शेष 100 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि जेपी खरीदारों के पैसे पर बैठे नहीं रह सकता। हमें खरीदारों की चिंता है, कोर्ट खरीदारों की फ्लैट दिलाने या पैसे दिलाने में मदद करना चाहते हैं। कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।

कोर्ट ने कहा कि 15 अप्रैल को अदालत देखेगी कि उसके आदेश का पालन हुआ या नहीं। अदालत ने साथ ही कहा कि अपना पैसा वापस मांग रहे खरीदारों को यह रकम अनुपातिक (प्रो राटा) आधार पर बांटी जाएगी। ऐसे में उम्मीद है कि जेपी के 2,800 खरीदारों को 16 अप्रैल से पैसा मिल सकता है।

आपको बता दें कि जेपी ने दो हजार करोड़ में से 550 करोड़ रुपये जमा करा दिए हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एमिक्स को खरीदारों के संबंध में चार्ट देने को कहा था, जो रिफंड चाहते हैं। एमिक्स ने कोर्ट को बताया कि 31000 खरीदारों में से 2800 पैसा वापस चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले वो खरीदारों का मूलधन लौटाना चाहता है। कोर्ट ने जेपी को कहा कि जो लोग रिफंड चाहते हैं उन्हें किश्त के लिए डिमांड नोटिस ना भेजा जाए।

इससे पहले नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने जेपी ग्रुप को 275 करोड़ रुपये अदालत में जमा करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने उस समय जेपी ग्रुप को फटकार लगाते हुए 'एक अच्छे बच्चे की तरह व्यवहार' करने की नसीहत दी थी। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि कंपनी के प्रमोटर और स्वतंत्र निदेशक पैसा जमा करने के लिए अपनी या परिवार के अन्य सदस्यों की संपत्ति को बिना कोर्ट की अनुमति के नहीं बेच सकेंगे।

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