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इस राहुल को इंसाफ़ क्या 2022 में मिलेगा?

इस राहुल को इंसाफ़ क्या 2022 में मिलेगा?
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राहुल नेक बंदा था।
राहुल नेक बंदा था। साफ्टवेयर इंजीनियर था। अपने फेसबुक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कार्यों का प्रचार करता था। इसमें कुछ ग़लत नहीं। कई लोग नेता से प्रभावित होकर ऐसा करते ही हैं। घर में मामा जी राष्ट्रीय स्वयं संघ के बड़े नेता भी हैं। राहुल ने एक टी टी ई को ग़लत करते देखा। विरोध किया तो टी टी ई के गिरोह ने मिलकर राहुल को मारा, माफी मँगवाई और चलती ट्रेन से फेंक दिया। राहुल अपनी पत्नी से मिलने जा रहा था। वह भी साफ्टवेयर इंजीनियर है।
छह महीने तक राहुल के अनगिनत दोस्तों ने उसके इंसाफ के लिए अलग अलग शहरों में पचास से अधिक धरना प्रदर्शन किया, चूंकि मामा जी संघ के हैं और राहुल के दिवंगत पिता जी भी स्थानीय स्तर पर बीजेपी के प्रभावशाली नेता थे। इस वजह से इनकी मुलाकात तो योगी आदित्यनाथ, राजनाथ सिंह सहित कई मंत्रियों से हुई। मगर इन सबसे राहुल के इंसाफ़ के लिए धेले भर का काम नहीं हुआ। छह महीने गुजर गए।फर्ज़ी आश्वासन देते रहे।
दिसंबर 2017 में जब राहुल की पत्नी और भाई ने मुझसे संपर्क किया तो मैं सुनकर दंग रह गया। राहुल के मारे जाने की कहानी और अपने पति के इंसाफ़ के लिए पत्नी, भाई के इंसाफ़ के लिए प्रिंस और दोस्त के इंसाफ़ के लिए अनगिनत दोस्तों के संघर्ष की कहानी इतनी दर्दनाक हो चुकी कि मैं ही सुनकर दूर भागने लगा। जब सामान्य हुआ तब जाकर इन सबसे बात करने लगा। आप कभी उस प्राइम टाइम के एपिसोड को देखिएगा। फटीचर नेताओं की भक्ति और विरोध दोनों हवा हो जाएंगे। आपकी रूह काँप जाएगी और पता चलेगा कि सिस्टम के कपार पर नरेंद्र मोदी रहें या राहुल गांधी इसके सामने हमारी आपकी हैसियत कुछ नहीं है।
हमारे पास लड़ने का और लड़ते हुए मिट जाने का इरादा भर है। हमारा सिस्टम बेशर्मी बेहयाई की हर सीमा को पार कर चुका है।हम ऐसे सिस्टम के लिए कभी नमो भक्त तो कभी उल्लू भक्त बने रहते हैं। चुनाव दर चुनाव हम सिस्टम के सवालों को छोड़ कर फटीचर नेताओं के सपनों के लिए ख़ुद को कीड़े मकोड़े बनाते जा रहे हैं। अभी भी संभल जाइये। इन फटीचर नेताओं के पास किसी बात की कोई कमी नहीं है कि आप इनके पीछे पागल हो जाएँ।
कायदे से राहुल के लिए ख़ुद सिस्टम को चल कर आना चाहिए था। मगर छह महीने के संघर्ष ने राहुल के दोस्तों को झकझोर दिया। सारी कहानी जनता के इरादे की है मगर मैं कहता हूं सिस्टम के इरादे की कहानी कब कही जाएगी या हम मान कर चल रहे हैं कि सिस्टम की कहानी ख़त्म हो चुकी है। आप इन सवालों पर ज़्यादा सोचिए। छोड़िए इन सवालों को कि 2019 में नरेंद्र मोदी जीतेंगे या राहुल गांधी। आप हारते रहेंगे। सिस्टम वही रहेगा जो मोदी के पहले था, मोदी के समय रहा और मोदी के बाद होगा।
किताब के लांच के वक्त राहुल के दोस्त आए थे। मेरे शो का स्क्रीन शाट लेकर आभार जताने। उस पर ऑटोग्राफ़ भी लिया। मेरे शो के बाद गिरफ्तारी तो हुई मगर मामला फिर से अटक गया। इन्हें देखते ही सारी कहानी याद आ जाती है और मैं सिहर जाता हूं। हमारी उम्र के लिहाज़ से राहुल की पत्नी बच्ची ही है मगर जिस तरह से वो गोद में राहुल के बच्चे को लिए मारी मारी फिर रही है, वो डिज़र्व नहीं करती है। राहुल का भाई प्रिंस और उसके दोस्त भी बच्चे जैसे हैं। नेताओं और सिस्टम ने उनके साथ धोखा किया है।
ये लड़के तो लड़ रहे हैं मगर राहुल और उनके दोस्त जिस नेता के लिए दिन रात लड़ रहे थे, वो और उसके नाम पर सत्ता में बैठे और सत्ता के बाहर घूम रहे नेताओं ओर समर्थक उन्हें अकेला छोड़ गए हैं। हम सब राहुल हैं। हमारे लिए कोई नहीं आएगा क्योंकि सिस्टम में आज भी दलालों का तंत्र कायम है जो आपके इंसाफ़ की यात्रा को अमानवीय अनुभवों में बदल देता है। राहुल के दोस्त कमाल के हैं। अपने यार के इंसाफ के लिए लड़ते चले जा रहे हैं। आपका सिस्टम इन्हें हराता चला जा रहा है। आँख खोल कर देखिए वरना फिर इस चुनाव में कोई धूल झोंक कर चला जाएगा।
नोट: आप सभी ने पुस्तक के लिए शुभकामनाएँ दी, आए भी। आपका बहुत बहुत आभार।
शिव कुमार मिश्र

शिव कुमार मिश्र

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