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गुजरात नरसंघार पर विशेष: एहसान जाफरी के मरने के पहले मोदी जानते थे कि जाफरी को कैसे मारा जायेगा!

गुजरात नरसंघार पर विशेष: एहसान जाफरी के मरने के पहले मोदी जानते थे कि जाफरी को कैसे मारा जायेगा!
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इस लेख को पड़कर दिल दहल जाएगा, क्या .....?

अहमदाबाद: 28 फरवरी 2002...2 बजे के थोडा पहले..प्रदेश डेप्युटी कमिश्नर Sanjiv Bhatt चिंतित थे...गोधरा रेल 'हादसे' के बाद ('हादसा' इसलिये क्यूंकि अब कुछ कट्टर भाजपा समर्थको को भी लग रहा है कि कारसेवको को ले जा रही बोगी मे आग भीतर से लगाई गई थी ना कि बाहर से मुसलमानो द्वारा), पूरे अहमदाबाद और गुजरात मे सुनियोजित हमले भड़क चुके थे।
मुस्लिम पुरुषो की बड़े पैमाने पर हत्या, मुस्लिम औरतो का बलात्कार और हत्या, मुस्लिम माओंं के गर्भ से बच्चोंं को चीर कर निकाल देना, मुस्लिम इलाको मे पानी भरकर उसके निवासियो को बिजली फैलाकर मारना...अच्छी तरह से तैयार, विहिप, बीजेपी, संघ और बजरंग दल के लोगो के संगठित समूह निर्मम तरीके से जघ्यन्ता पर उतर आये थे।
हथियार,पेट्रोल बम, साइकिल चेन, और तलवारो से लैस एक बड़ी भीड गुलबर्ग सोसायटी के चारो तरफ जमा हो चुकी थी और नारे लगा रही थी। इस सोसायटी मे एक असाधारण कवि, गंगा जमुनी तहजीब के नुमाइंदे और पूर्व कांग्रेस एमपी एहसान जाफरी का घर था। जाफरी 1977 मे इंदिरा गांधी-विरोधी लहर के बावजूद, अहमदाबाद से लोक सभा चुनाव जीते थे।
पर आज जाफरी शत्रुओंं से घिरे हुये थे। वह पहले भी साम्प्रदायिक दंगे झेल चुके थे, एक बार उनका घर भी जला दिया गया था। गुलबर्ग सोसायटी मे आने के बाद उन्होने 1980s के उत्तरार्ध मे दक्षिणपंथियो द्वारा प्रायोजित, साम्प्रदायिक दंगे देखे थे। फिर भी जाफरी को भारत की मिली जुली संस्कृति और इंडिया के लॉ ऐण्ड आर्डर पर पूरा भरोसा था। वह एक प्रगतिशील व्यक्ति और एक उदार मुसलमान थे।
जाफरी के कई पड़ोसी और पास की झुग्गी झोपड़ियों से तमाम मुस्लिम उनके यहाँ सुरक्षा की तलाश मे इस उम्मीद मे आये हुये थे कि पूर्व एमपी होने के नाते वो वहाँ सुरक्षित रहेंगे। जाफरी की पत्नी ज़किया जाफरी ने बाद मे मीडिया को बताया कि "उन्होने (एहसान जाफरी ने) मदद के लिये 100 से भी ज्यादा फोन काल किये थे"। गुजरात डीजीपी, अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर, प्रदेश मुख्य सचिव और दर्जनो और लोगोंं से मदद की गुहार लगायी।
गुलबर्ग हत्याकांड से बचे एक गवाह ने भी बाद मे कोर्ट को बताया कि जाफरी ने सीएम नरेंद्र मोदी को भी फोन किया था। "जब मैने उनसे पूंछा कि मोदी ने क्या कहा तो उन्होने (जाफरी) उत्तर दिया कि उसने मदद के बजाय गालियाँ दी"।
डरे हुये जाफरी ने यहाँ तक कि उस समय दिल्ली, डेप्युटी पीएम लालकृष्ण आडवाणी को भी काल किया। मोदी के एक भाजपाई करीबी जो उस दिन आडवाणी के साथ ही थे ने बाद मे प्रेस को बताया कि कैसे भाजपा नेता ने खुद मोदी के आफिस मे जाफरी के लिये फोन किया।
करीब 2.30 PM तक पागल भीड गुलबर्ग सोसायटी का गेट तोडकर अंदर घुस चुकी थी। जाफरी के घर के बाहर एक बडी भीड़ जमा थी। वे औरतो का बलात्कार कर रहे थे और फिर उन्हे ज़िन्दा जला रहे थे। आदमियो को टुकड़ों मे काट रहे थे, बच्चो को भी नही बख्श रहे थे।
बाद मे कोर्ट मे जमा किये गये दस्तावेज़ों के अनुसार जाफरी को हमलावरो ने उनकी उंगलियाँ और टांग काटने के पूर्व, नंगा कर घुमाया...और फिर उनके शरीर को एक जलते चिता मे झोंक दिया।
पुलिस की आफिशियल रिपोर्ट के अनुसार गुलबर्ग सोसायटी मे करीब 59 लोगो की हत्या हुई थी। स्वतंत्र जांच के अनुसार करीब 69 या 70 लोग मारे गये। जाफरी की पत्नी ज़किया और कुछ अन्य लोग, जिन्होने खुद को ऊपरी कमरे मे खुद को बंद कर लिया था, बच गये।
बाद मे, मोदी ने दावा किया कि उन्हे गुलबर्ग सोसायटी के बारे मे कोई जानकारी तब तक नही थी जब तक कि उन्हे पुलिस अधिकारियो ने शाम को नही बताया।
मोदी ने झूठ बोला!
उस दिन खुद संजीव भट्ट ने मोदी को 2 बजे के पहले ही कई बार फोन किया था और बताया था कि गुलबर्ग सोसायटी के बाहर काफी भीड़ इकट्ठा हो गई है! अब, चिंतित भट्ट ने सीएम का सामना करने का फैसला किया। मीटिंग के दौरान भट्ट ने मोदी से तुरंत दखल देने की अपील की।
परंतु मोदी का रवैया आश्चर्यचकित करने वाला था। मोदी ने पहले भट्ट को सुना और फिर बोले "संजीव, यह पता करो, कि क्या जाफरी को तड़ से (आवेश में) गोली चलाने की आदत है"?
मुख्य मंत्री दफ्तर के बाहर, कारीडोर मे, संजीव भट्ट पूर्व मुख्यमंत्री अमरसिंह चौधरी और पूर्व गृह मंत्री नरेश रावल से मिले। दोनो ही पूर्व मंत्रियो ने भट्ट से कहा कि एहसान जाफरी गुलबर्ग से फोन काल कर रहे हैं--और वो दो, मोदी से इसी सिलसिले में मिलने आये हैं।
फिर, कुछ समय पश्चात, भट्ट को एक फोन आया। दूसरी तरफ से कहा गया कि जाफरी ने भीड़ पर फायर कर दिया! जब भट्ट आफिस पहुंचे, तो उनकी टेबल पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट पड़ी थी जिसमे लिखा था कि 'जाफरी ने आत्मरक्षा मे गोली चलाई थी'! अचानक संजीव भट्ट के दिमाग मे कौंधा--क्या मोदी को पता था कि कैसे पूरा एहसान जाफरी एपीसोड खेला जायेगा!
असल मे एहसान जाफरी का क़त्ल एक साज़िश थी। जाफरी के कत्ल के पीछे की ताकतों मे ईज़राइल के 'मोसाद' का संदिग्ध था। साफ है कि जाफरी के व्यवहार का पहले ही अध्ययन किया जा जुका था। दुश्मन जानते थे कि जाफरी के पास गन थी!
राष्ट्र-विरोधी, भारत-विरोधी, दुश्मन ताक़तों ने जाफरी के कत्ल के लिये ऐसे हालात पैदा किये जिसमे या तो एहसान जाफरी अपनी गन निकालने के लिये बाध्य होंगे (खून की प्यासी भीड़ को रोकने के लिये) या फिर अगर जाफरी गन नही भी निकाले, तो भी बाद मे कहा जा सके कि जाफरी ने आत्मरक्षा मे गन निकाली थी और भीड ने इसलिये उन्हे मार डाला!
यहाँ संघ-मोसाद के शैतानी दिमाग का कारनामा देखिये--ज़किया जाफरी का कहना है कि एहसान ने कोई फायर नही किया, बल्कि खुद को भीड़ के हवाले कर दिया था, इस शर्त पर कि वे घर मे सुरक्षा के लिये जमा अन्य लोगो को जाने देंगे!
इस तरह जाफरी की हत्या एक साज़िश के तहत हुई। दिखाने के लिये एक माहौल बनाया गया कि उनकी हत्या इसलिये हुई क्योंकि उन्होने गन निकाली थी। इसी तर्क का इस्तेमाल हुआ था मोदी को क्लीन चिट देने के लिये!
तो मोदी को जाफरी के मारे जाने के पहले से मालुम था कि जाफरी को कैसे मारा जायेगा!
और ऐसा आदमी हमारा प्रधानमंत्री है!
लेखक अमरेश मिश्र के अपनी निजी विचार है इसका मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद: पंडित वी. एस. कुमार ने किया है.
इसको लिखने पर इनको मुकद्दमे करने की धमकी भी मिल रही है.

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