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एक ऐसा गाँव भारत का जिसमें लडकी को कपड़े पहनने की लेनी पड़ती है परमीशन, सुनकर होंगे हैरान!

एक ऐसा गाँव भारत का जिसमें लडकी को कपड़े पहनने की लेनी पड़ती है परमीशन, सुनकर होंगे हैरान!
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देश में आज भी है एक इस तरह गाँव
भारत में एक ऐसा गाँव भी है जहाँ पहनने के लिए लडकियों को आज भी कपड़े पहनने के लिए परमीशन लेनी पढती है. क्या आप कभी किसी लड़की के पहनावे से उसका कैरेक्टर जज कर सकते हैं? शायद नहीं, मगर हरियाणा के एक गांव में ऐसा ही कुछ हो रहा है. सोनीपत के ईसापुर खेदी गांव में लड़कियों के जींस पहनने पर पिछले एक साल से बैन लगा हुआ है. दरअसल इस गांव की पंचायत का मानना है कि जींस पहनने से लड़कियां घर से भाग जाती हैं. इसके साथ ही इस गांव में लड़कियों के मोबाइल फोन इस्तेमाल करने पर भी पाबंदी है ताकि वो कोई गलत कदम न उठा सकें. इस मामले में गांव के सरपंच प्रेम सिंह का कहना है हमने पिछले एक साल से गांव में लड़कियों के जींस पहनने पर बैन लगाया हुआ है. इसी के साथ हमने उनके मोबाइल फोन इस्तेमाल करने पर भी बैन लगाया हुआ है ताकि वो इसका गलत इस्तेमाल न कर सकें.


वहीं इस मामले में गांव की एक लड़की का कहना है कि ये बिल्कुल गलत है. ये आदमियों की मानसिकता है इसमें कपड़ो का कोई दोष नहीं. उसने कहा कि आप कपड़ो से किसी के कैरेक्टर पर कैसे फैसला कर सकते है.


बताया जा रहा है कि गांव की पंचायत ने ये फैसला 2-3 बार हो चुकी अनहोनी को रोकने के लिए किया है. दरअसल गांव में 2-3 लड़कियों के अन्य लड़को के साथ घर से भाग जाने के मामले सामने आए थे जिसके बाद पंचायतों की बदनामी हुई थी. पंचायत ने बदनामी के डर से गांव में फरमान जारी कर दिया कि लड़कियां जींस- टी-शर्ट के अलावा मोबाइल फोन अपने साथ नहीं रखेगी और गांव में अपने संस्कृति के अनुसार पहनावा डालकर अपनी गरिमा का ख्याल रखेंगी. इस फरमान का एक साल के बाद सख्ती से पालन किया जा रहा है.
गांव के सरपंच ने बताया कि पंचायती फरमान के बाद से गांव से बाहर पढ़ने जाने वाली लड़कियां अब मोबाइल फोन लेकर अपने साथ नहीं जाती. उन्होंने बताया कि इससे पहले अधिकतर लड़कियां जींस व टी-शर्ट डालकर स्कूल जाती थीं, लेकिन फरमान के बाद ऐसे मामलों में गिरावट दर्ज की गई है.
वहीं, पंचायती फरमान पर गांव की लड़कियों का कहना है कि जींस पहनने और मोबाइल रखने पर रोक के चलते वो अब जींस नहीं पहनती और न ही मोबाइल अपने पास रखती है, लेकिन उनका मानना है कि ऐसे फरमानों से उनकी आजादी पर रोक लगाई जा रही है. लड़कियों के मुताबिक आज जींस और मोबाइल हर आदमी की जरूरत बन चुका है और इन पर लगी रोक को हटाई जानी चाहिए. गोहाना में पढ़ने वाली छात्राओं ने भी पंचायत की फरमान गलत बताते हुए कहा है कि किसी भी पंचायत को कोई हक़ नहीं है कि वह किसी पर रोक लगाए. लड़कियों का कहना है कि इस तरह की पंचायतों को अपनी सोच को बदलने की जरुरत है, क्योंकि वर्तमान में लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से पीछे नहीं है.
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