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ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने इराक़ के प्रधान मंत्री हैदर अलअबादी के साथ मुलाक़ात में पड़ोसी देशों के साथ बग़दाद सरकार के प्रयासों का समर्थन करते हुए कहा है कि बग़दाद को चाहिए कि अमरीका की चालों के प्रति होशियार रहे और कदापि उस पर भरोसा न करे।
गुरुवार को तेहरान में अलअबादी के साथ मुलाक़ात में वरिष्ठ नेता ने उल्लेख किया कि अमरीका ने ख़ुद ही दाइश का गठन किया, लेकिन अब जबकि यह गुट इराक़ी जनता और सरकार के मुक़ाबले में लड़ाई में पराजित हो चुका है, ख़ुद को इराक़ी जनता के साथ दिखाने का प्रयास कर रहा है, हालांकि इसमें कोई शक नहीं है कि जब भी उसे मौक़ा मिलेगा वह इराक़ को डस लेगा।
2003 में इराक़ में सद्दाम के शासन के पतन के बाद और 2014 में दाइश द्वारा इस देश के एक बड़े भाग पर क़ब्ज़ा करने के बाद के घटनाक्रमों पर नज़र डालने से अमरीका की भूमिका स्पष्ट हो जाती है। अमरीका ने कभी भी इराक़ी जनता और राष्ट्र के हितों की परवाह नहीं की, बल्कि वह इस देश के तेल एवं अन्य आर्थिक संसाधनों पर नज़रे गाड़े हुए है।
इराक़ी कुर्दिस्तान क्षेत्र में देश से अलग होने के लिए कराए जाने वाले जनमत संग्रह के बारे में अमरीका की नीति से भी इराक़ी जनता का अमरीका से भरोसा उठ गया है। यद्यपि वाशिंगटन ने इराक़ की अखंडता का समर्थन किया, लेकिन बग़दाद सरकार द्वारा देश की अखंडता की सुरक्षा के लिए उठाए गए क़दमों पर गहरी चिंता ज़ाहिर भी की, इससे अमरीका के दोहरी नीतियों का पता चलता है।
इस संदर्भ में इराक़ी सांसद फ़िरदौस अलअवादी का कहना है, अमरीका भरोसा करने योग्य नहीं है, इसलिए कि इराक़ को अस्थिर करने के लिए वह कोई भी मौक़ा हाथ से जाने नहीं देना चाहता है। इराक़ की सरकार को अमरीका के इस दावे पर विश्वास नहीं करना चाहिए कि वह कुर्दिस्तान के इराक़ से अलग होने का विरोधी है, इसलिए कि अमरीका बहुत ही बेचैनी से इस बात का इंतेज़ार कर रहा है।
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