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नवाज़ शरीफ़ के खिलाफ वारंट जारी, जानें क्या है पूरा मामला
इस्लामाबाद: पनामा पेपर केस में भ्रष्टाचार के दो मामलों में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है। उनके वकील ने इस बात की पुष्टि की है। नवाज फिलहाल लंदन में अपनी बीमार पत्नी की देखभाल में लगे हैं।
वर्तमान में नवाज शरीफ अपनी पत्नी के कैंसर के इलाज के लिए लंदन गए हुए हैं और इसी महीने की शुरुआत में उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद से वो लंदन से नहीं लौटे हैं।
मीडिया से बातचीत में बचाव पक्ष के एक वकील ज़फर खान ने बताया कि, "अकाउंटेबल कोर्ट ने आज पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के दो मामलों में जमानती वारंट जारी किया और 3 नवंबर तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी है।"
बता दें जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ और उनके परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के बाद उनके पद से बर्खास्त कर दिया था। पाकिस्तान के 70 सालों के इतिहास में ये 15वां मौका था जब किसी प्रधानमंत्री को अपना टर्म पूरा करने से पहले ही कुर्सी छोड़नी पड़ी।
हाई प्रोफाइल पनामागेट मामले में पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार दिया था। पनामा लीक मामले में शरीफ के परिजनों पर भी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे थे। पनामा पेपर लीक होने के बाद नवाज शरीफ की विदेश में कई संपत्तियों का खुलासा हुआ था।
तीन बार बने पीएम लेकिन कभी पूरा नही कर पाएं कार्यकाल
नवाज शरीफ रिकॉर्ड तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। कभी राष्ट्रपति कायार्लय के जरिए, फिर सेना और अब न्यायापालिका द्वारा उनको सत्ता से बेदखल किया गया। शरीफ 1949 में लाहौर के अमीर उद्योगपति परिवार में पैदा हुए और उनकी शुरूआती शिक्षा अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में ही हुई। उन्होंने पंजाब विश्विवद्यालय से कानून की पढ़ाई की और फिर पिता की इस्पात कंपनी के साथ जुड़ गए। सैन्य शासक जियाउल हक के समय वह पहले वित्त मंत्री बने और फिर पंजाब के मुख्यमंत्री बने। फिर 1990 में वह पहली बार प्रधानमंत्री बने।
पाकिस्तान के सबसे रसूखदार सियासी परिवार और सत्तारूढ़ पार्टी पीएमएल-एन के मुखिया शरीफ जून, 2013 में तीसरे कार्यकाल में सत्ता पर आसीन होने के बाद से सभी सुनामी से पार पाने में सफल रहे लेकिन पनामागेट मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें अयोग्य ठहरा दिया जो उनके करियर के लिए बहुत बड़ा झटका था।
पहला कार्यकाल
पहले कार्यकाल के दौरान शरीफ का तत्कालीन राष्ट्रपति गुलाम इसहाक खान के साथ गहरे मतभेद हो गए जिसके बाद खान ने अप्रैल,1993 में नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था। उसी साल जुलाई महीने में शरीफ ने सेना के दबाव में इस्तीफा दे दिया लेकिन खान को हटाए जाने की शर्त पर सुलह की।
दूसरा कार्यकाल
शरीफ दूसरी बार 1997 में राष्ट्रपति बने, लेकिन 1999 में परवेज मुशर्फ ने तख्तापलट कर उन्हें अपदस्थ कर दिया था।
तीसरा कार्यकाल
अपने तीसरे कार्यकाल में शरीफ ने चीन-पाकिस्तान आथर्कि गलियारे 'सीपेक' सहित कई विकास परियोजनाओं को शुरू किया। उनकी एक और बड़ी उपलब्धि सैन्य अभियान 'जर्ब-ए-अज्ब' है जो 2014 में शुरू किया गया था। सेना के इस अभियान का मकसद उत्तरी वजीरिस्तान और दक्षिण वजीरिस्तान से आतंकवादियों का सफाया करना था।