- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
यूरोपीय संघ ने कहा, ईरान से डील तोड़ना ट्रंप के हाथ में नहीं
यूरोपीय संघ ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ईरान के साथ हुई परमाणु डील को खत्म नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह कोई 'द्विपक्षीय समझौता नहीं है.' अटलांटिक के दोनों तरफ यूरोपीय राजनयिक ट्रंप को इस बात के लिए मनाने में नाकाम रहे हैं कि ईरान के साथ हुए समझौते को खत्म न किया जाए.
ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के अधिकारी ट्रंप की जिद से परेशान हैं. यूरोपीय नेताओं ने माना है कि ईरान की वजह से कई दिक्कतें हो रही हैं, लेकिन उनके साथ अलग से निपटने की जरूरत है. 2015 में दुनिया की छह बड़ी ताकतों ने ईरान के साथ परमाणु समझौता किया था जिसके तहत ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमत हुआ और इसके बदले उसके खिलाफ लगे प्रतिबंधों में ढील दी गयी थी.
यूरोपीय संघ का कहना है कि ईरान समझौते पर अमल कर रहा है और वह उसकी लगातार निगरानी करता रहेगा जबकि ट्रंप की राय इसके विपरीत है. 18 दिनों की गहमागहम बातचीत के बाद मंगलवार 14 जुलाई को विश्व सत्ताओं और ईरान के बीच परमाणु समझौते की घोषणा हुई. बातचीत में सुरक्षा परिषद के सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के अलावा जर्मन विदेश मंत्री और यूरोपीय संघ की विदेशनैतिक दूत भी मौजूद थे.
यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रभारी फ्रे़डेरिका मोघेरिनी ने ईरान के साथ हुई डील के मुद्दे पर ट्रंप की कड़ी आलोचना की है. ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस से कहा है कि वह ईरान के खिलाफ फिर प्रतिबंध लगाने के बारे में विचार करे. संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था ने बार बार इस बात की पुष्टि की है कि ईरान उन पाबंदियों पर अमल कर रहा है जो समझौते के तहत उसके सामने रखी गयी थीं. लेकिन ट्रंप का कहना है कि ईरान परमाणु समझौते का "उल्लंघन" कर रहा है.
मोघेरिनी ने साफ किया, "यह कोई दोतरफा समझौता नहीं है, यह कोई एक अंतरराष्ट्रीय संधि नहीं है," बल्कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का हिस्सा है, "इसलिए साफ तौर पर यह दुनिया के किसी देश के किसी राष्ट्रपति के हाथों में नहीं है कि वह इस तरह के समझौते को खत्म कर दे." उन्होंने साफ कहा, "अमेरिकी राष्ट्रपति के पास बहुत शक्तियां होती हैं, लेकिन यह शक्ति नहीं है." ईरान ने पहली बार जमीन के 500 मीटर नीचे बने बंकर में जमा अपने मिसाइलों और नेशनल रिवोल्यूशनरी गार्ड की टुकड़ी को दिखाया है.
वहीं ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी ने भी एक लाइव टीवी संबोधन में मोघेरिनी के शब्दों को दोहराया और कहा, "कोई भी राष्ट्रपति एक अंतरराष्ट्रीय समझौते को रद्द नहीं कर सकता. ईरान ने इस डील के तहत जो प्रतिबद्धताएं दी हैं, वह उन पर अमल करता रहेगा." ईरानी राष्ट्रपति ने यह भी चेतावनी दी कि "अगर किसी दिन हमारे हित पूरे नहीं होंगे तो हम एक पल के लिए भी नहीं हिचकेंगे और जबाव देंगे."
वहीं जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने एक साझा बयान में कहा है कि अमेरिकी कांग्रेस को ईरान के साथ हुई डील को कमजोर करने वाला कोई भी कदम उठाने से पहले अमेरिका और उसके सहयोगियों की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में विचार करना चाहिए. इन कदमों से उनका इशारा ईरान के खिलाफ डील के तहत हटाने जाने वाले प्रतिबंधों को दोबारा लगाने की तरफ था.