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म्यांमार के राखीन प्रांत में मुसलमानों की सामूहिक क़ब्र मिलने पर भारत ने प्रतिक्रिया जताई है। भारत के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता राजीव कुमार ने समस्त रूपों में आतंकवाद की भर्त्सना की और म्यांमार में जारी हिंसा को तुरंत रोके जाने और दोषियों को दंडित करने की मांग की।
अंतरराष्ट्रीय दबावों में आकर पिछले कुछ दिनों के दौरान म्यांमार की सरकार ने मानवाधिकार के अंतरराष्ट्रीय संगठनों को राखीन प्रांत के निरीक्षण की अनुमति दे दी है जिसके बाद म्यांमार की सेना मुसलमानों की सामूहिक क़ब्र से पर्दा उठाने पर मजबूर हो गयी। इस सामूहिक क़ब्र में 8 मुसलमान पुरूषों और 20 महिलाओं के शव थे। भारत ने म्यांमार के राखीन प्रांत में सामूहिक कब्र के प्रति प्रतिक्रिया एसी स्थिति में जताई है जब म्यांमार के मुसलमानों के संबंध में उसने बुरा रवैय्या अपना रखा है।
भारत का कहना है कि इस देश से रोहिंग्या मुसलमानों को निकाल देना चाहिये। वह रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने के मामले को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर देख रहा है। दूसरे शब्दों में रोहिंग्या मुसलमानों के संबंध में भारत ने जो नीति अपना रखी है वह इस बात की सूचक है कि रोहिंग्या मुसलमानों के संबंध में उसका दृष्टिकोण म्यांमार की सरकार से मिलता- जुलता है।
जब रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार में इस देश की सेना और चरमपंथी बौद्धो की ओर मानवीय अपराधों का सामना है और उनमें से लाखों मुसलमान बांग्लादेश भाग कर जा चुके हैं तो एसी स्थिति में भारत की केन्द्र सरकार से अपेक्षा यह थी कि वह कठिन व जटिल स्थिति को समझती और रोहिंग्या मुसलमानों को भारत से निकालने की बात न करती और जब भारत से रोहिंग्या मुसलमानों के निकालने की बात हो रही है तो म्यांमार की सरकार यह समझ रही है कि भारत भी रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ उसके अपराधों का समर्थन कर रहा है।
बहरहाल भारत और म्यांमार के संबंधों तथा म्यांमार में नई दिल्ली के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए अपेक्षा यह है कि भारत म्यांमार की सरकार से रोहिंग्या मुसलमाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा को बंद करने की मांग करेगा परंतु आंतरिक मांगों के बावजूद अब तक उसने इस संबंध में कुछ नहीं किया है।