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खुल गया चाबहार बंदरगाह, भारत के लिए है काफी अहम

Ekta singh
3 Dec 2017 11:51 AM GMT
खुल गया चाबहार बंदरगाह, भारत के लिए है काफी अहम
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ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने इस रणनीतिक ट्रांजिट रूट के पहले फेज का उद्घाटन किया. इस ऐतिहासिक मौके पर भारत के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे.

नई दिल्ली: रविवार को ईरान, भारत और अफगानिस्तान के बीच चाबहार बंदरगाह पहले चरण का उद्घाटन किया गया. ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने इस रणनीतिक ट्रांजिट रूट के पहले फेज का उद्घाटन किया. इस ऐतिहासिक मौके पर भारत के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे.

इस अतिमहत्वपूर्ण रूट के उद्घाटन से एक दिन पहले ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ के साथ राजधानी तेहरान में बैठक कर चाबहार प्रोजेक्ट से जुड़े कई मुद्दों पर बातचीत की थी. अफगानिस्तान की तोलो न्यूज के मुताबिक रविवार सुबह ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने सुबह बंदरगाह का उद्घाटन किया.

भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच परिवहन और पारगमन गलियारे के रूप में इस बंदरगाह को विकसित करने लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच पिछले साल मई में त्रिपक्षीय समझौता हुआ था.

भारत हिंसाग्रस्त अफगानिस्तान का प्रमुख विकास सहायता साझेदार रहा है. ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच समझौता हुआ है.

भारत के लिए यह बंदरगाह बेहद अहम है...

इस बंदरगाह के जरिए भारत अब बिना पाकिस्तान गए ही अफगानिस्तान और फिर उससे आगे रूस और यूरोप से जुड़ सकेगा. अभी तक भारत को अफगानिस्तान जाने के लिए पाकिस्तान होकर जाना पड़ता था.

कांडला एवं चाबहार बंदरगाह के बीच दूरी, नई दिल्ली से मुंबई के बीच की दूरी से भी कम हैं. इसलिए इस समझौते से भारत पहले वस्तुएं ईरान तक तेजी से पहुंचाने और फिर नए रेल एवं सड़क मार्ग के जरिए अफगानिस्तान ले जाने में मदद मिलेगी. इस बंदरगाह के जरिए ट्रांसपोर्ट लागत और समय में कमी आएगी.

ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलुचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक तौर पर उपयोगी हैं. यह फारस की खाड़ी के बाहर है और भारत के पश्चिम तट पर स्थित है और भारत के पश्चित तट से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता हैं.

चाबहार पोर्ट का एक महत्व यह भी है कि यह पाकिस्तान में चीन द्वारा चलने वाले ग्वादर पोर्ट से करीब 100 किलोमीटर ही दूर हैं. चीन अपने 46 अरब डॉलर के के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे कार्यक्रम के तहत ही इस पोर्ट को बनवा रहा है. चीन इस पोर्ट के जरिए एशिया में नए व्यापार और परिवहन मार्ग खोलना चाहता है.

ईरानी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, यह बंदरगाह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके जरिए मध्य एशियाई देश ओमान और हिंद महासागर के रास्ते दुनिया के दूसरे देशों से जुड़ सकेंगे.

चाबहार बंदरगाह सहित अफगान की सीमा तक सड़क और रेलवे का विकास होने से अफगानिस्तान और पूरे मध्य एशिया में भारत की पहुंच सुनिश्चित होगी. भारत पहले ही ईरान-अफगान सीमा पर जरांग से दिलराम तक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 200 किमी से ज्यादा लंबी सड़क बना चुका है.

चाबहार बंदरगाह ऐसा विदेशी बंदरगाह है जिसे विकसित करने में भारत की सीधी भागीदारी है.

भारत और अफगानिस्तान ने ईरान के साथ मिलकर अपने रिश्तों को और मजबूती दी है. विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने एक माह पहले ही ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिए अफगानिस्तान जाने वाली गेहूं की पहली खेप को हरी झंडी दिखाई थी.

अफगानिस्तान के लोगों के लिए 11 लाख टन गेहूं की यह खेप भारत सरकार द्वारा दिए गए वचन का हिस्सा है, जिसमें कहा गया था कि वह अफगानिस्तान को अनुदान के आधार पर गेहूं भेजेगा. अफगानिस्तान को गेहूं की छह और खेप भेजी जाएगी.


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