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पिछले साल जुलाई महीने में पाकिस्तान की सोशल मीडिया स्टार क़ंदील बलोच की हत्या मुल्तान स्थित उनके घर में कर दी गई थी. यू-ट्यूब पर बोल्ड गाने और पोस्ट डालकर पाकिस्तान के रूढ़िवादी समाज को चुनौती देनी वाली क़ंदील की हत्या के ज़ुर्म में उन्ही के भाई को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में अब एक नया मोड़ आया है. धार्मिक गुरु मुफ़्ती अब्दुल क़वि को इस मामले से जुड़े होने के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है. वे क़ंदील की हत्या होने से कुछ दिन पहले उनसे मिले थे.
क़ंदील पंजाब के एक छोटे से गांव की लड़की थी. साल 2013 में उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो और बोल्ड तस्वीरें पोस्ट करना शुरू किया. जल्दी ही क़ंदील पाकिस्तान के मुस्लिम समुदाय में रूढ़िवादी लोगों के बीच एक चर्चित और विवादास्पद चेहरा बन गईं. क़ंदील को पाकिस्तान की किम कार्दश्यां भी कहा जाता था. हालांकि कई लोग उनके समर्थक भी बने. जो यह समझते थे कि क़ंदील समाज की वर्जनाओं को तोड़ रही हैं. उनके समर्थकों ने क़ंदील को कई बार चेताया था कि उनकी हत्या हो सकती है.
कौन है मुफ़्ती अब्दुल क़वि और क़ंदील से उनका क्या है नाता?
अब्दुल क़वि पाकिस्तान के जाने माने धार्मिक विद्वान थे जिनके कई बड़े राजनीतिज्ञों के साथ संबंध थे. वे पाकिस्तान सरकार की 'मून साइटिंग' कमेटी के सदस्य थे. यह कमेटी इस्लामिक त्योहारों की तारीखें तय करने का काम देखती है. मुफ्ति को कई टीवी कार्यक्रमों में चर्चा के लिए भी बुलाया जाता था. जून 2016 में ऐसे ही एक कार्यक्रम में वे और क़ंदील बलोच मौजूद थे. क़ंदील उस चर्चा में वीडियो लिंक के जरिए जुड़ी हुई थीं. उस कार्यक्रम में क़ंदील के ऑनलाइन पोस्ट के मुद्दे पर ही चर्चा चल रही थी. चर्चा के दौरान मुफ्ति ने क़ंदील को कराची में मिलने का निमंत्रण दे डाला था. कुछ हफ्तों बाद 20 जून को क़ंदील ने मुफ्ति से मुलाकात की और उनके साथ कई सेल्फी फेसबुक पर पोस्ट की. इसके बाद मुफ्ति भी आलोचनाओं के घेरे में आ गए.
सबसे ज़्यादा बुरा यह हुआ कि यह सारा घटनाक्रम रमज़ान महीने के दौरान हुआ, इस पाक महीने में मुस्लिम पूरा दिन उपवास रखते हैं, वे दूसरी महिलाओं की तरफ देखते तक नहीं हैं. इस विवाद के बाद मुफ्ति को मून-साइटिंग कमेटी से हटा दिया गया था.
कोर्ट में चल रहा है मामला
मौलवी से मिलने के एक महीने के अंदर ही क़ंदील की हत्या कर दी गई. क़ंदील के भाई वसीम ने हत्या का ज़ुर्म क़बूल किया और कहा कि वह परिवार का नाम बदनाम कर रही थी इसलिए उसने इस हत्या को अंजाम दिया. वसीम के अलावा दो और लोगों को हत्या के आरोप में गिरफ़्तार किया गया, हालांकि बाद में तीनों ही ज़मानत पर रिहा हो गए.
इस बीच क़ंदील के परिवार ने मुफ़्ती अब्दुल क़वि पर भी हत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया. क़ंदील के परिजनों ने कहा कि मौलवी रसूख वाले व्यक्ति थे उनके बहुत से समर्थक थे. अपनी ताक़त और पद का प्रयोग करते हुए मुफ़्ती ने उन्हें यह कहकर क़ंदील की हत्या के लिए उकसाया कि क़ंदील की वजह से उनके परिवार की बेइज्ज़ती हुई है.
दूसरी तरफ मुफ़्ती ने हमेशा ही इन आरोपों से इंकार किया और जांच में किसी भी तरह की मदद करने से इंकार कर दिया.
12 अक्टूबर को मुल्तान की एक कोर्ट ने उन्हें अदालत में पेश होने का वारंट जारी किया. इसी नाटकीय घटनाक्रम में जब मुफ़्ती को अदालत से ज़मानत नहीं मिली तो वे अदालत से भाग निकले. बाद में पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार भी कर लिया.
पाकिस्तान में लोग क्या सोचते हैं?
क़ंदील की हत्या हुए एक साल से ज़्यादा का वक्त बीत गया है लेकिन अभी भी पाकिस्तान की मीडिया में क़ंदील की चर्चा होती रहती है. दो बार के ऑस्कर विजेता शर्मीन ओबैद चिनॉय क़ंदील की ज़िंदगी पर एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म बना रहे हैं. वहीं एक टीवी चैनल पर क़ंदील से जुड़ा एक कार्यक्रम 'द रिबेल' प्रसारित किया जा रहा है. इस पूरे मामले में कोर्ट क्या निर्णय लेता है फिलहाल इसमें वक्त लगेगा लेकिन मौलवी के गिरफ़्तार होने के बाद मुद्दा एक बार फिर नया मोड़ लेने लगा है.