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इराक में कुर्दो के जनमत संग्रह ने मध्यपूर्व के लोगों को सकते में डाल रखा है. इराक, तुर्की, अमेरिका और दुनिया के तमाम देश आजादी के मुद्दे पर मतदान को टालने के लिए कह रहे हैं लेकिन रूस इस पर चुप है. रूस दुनिया का अकेला ताकवर देश है जिसने कुर्दों से रायशुमारी को रद्द करने के लिए नहीं कहा है. यह रायशुमारी जर्मन चुनाव से महज एक दिन बाद यानी 25 सितंबर को प्रस्तावित है. इसी बीच कुर्दों से तेल और गैस के लिए रूस ने चार अरब डॉलर से ज्यादा के करार किए हैं और वह उनके लिए धन जुटाने का सबसे बड़ा जरिया बन कर उभरा है. अमेरिका, यूरोपीय देश, तुर्की, ईरान ये सारे देश कुर्दों से 25 सितंबर को होने वाली रायशुमारी रद्द करने की मांग कर रहे हैं.
कुर्द इस रायशुमारी को उनकी स्वतंत्र देश पाने की अपने दशकों पुराने संघर्ष का निर्णायक क्षण मान रहे हैं जबकि इराक इसे संविधान का उल्लंघन बता रहा है. इसी हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी कर इस रायशुमारी को "भड़काऊ और अस्थिर" करने वाला कहा. इसके साथ ही इस ओर भी ध्यान दिलाया गया कि यह ना सिर्फ स्वायत्त कुर्दिश इलाके में हो रहा है बल्कि उस इलाके में भी जो विवादित है. इस तरह की कोई बात रूस की तरफ से नहीं की गयी है. इसकी जगह रायशुमारी से कुछ ही दिन पहले रूसी तेल कंपनी रोजनेफ्ट ने बीते हफ्ते अपने ताजा निवेश का एलान किया तो उसमें इराकी कुर्दिस्तान को प्राकृतिक गैस उद्योग को स्थापित करने में मदद की बात कही. इसमें घरेलू सप्लाई के साथ ही निर्यात की सुविधाएं बेहतर करने की भी बात है.
पूरा समझौता कितने मूल्य का है यह नहीं बताया गया है लेकिन उद्योग से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि यह 1 अरब डॉलर से ज्यादा की कीमत का है. फरवरी से लेकर अब तक यह रोजनेफ्ट का कुर्द इलाके में तीसरा उपक्रम है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रोजनेफ्ट ने पिछले दिसंबर से लेकर अब तक इस इलाके में 4 अरब डॉलर से ज्यादा के समझौते किये हैं. कुर्द इलाके को पहले अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से तेल बेच कर जो कमाई होती थी उसके मुकाबले यह करीब 2 अरब डॉलर ज्यादा है.