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सऊदी अरब और बहरीन बना रहे हैं इस्राइल के साथ सम्बन्ध

Majid Khan
25 Sep 2017 1:41 PM GMT
सऊदी अरब और बहरीन बना रहे हैं इस्राइल के साथ सम्बन्ध
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सऊदी अरब और बहरीन दोनों ही इस्राईल के साथ अपने संबन्ध सामान्य करने के लिए क़दम बढ़ा रहे हैं। सऊदी अरब के विदेशमंत्री आदिल अलजुबैर ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में कहा है कि अरबों और इस्राईल के बीच तनाव, बहुत लंबा तनाव है जिसे अब आगे नहीं बढाया जा सकता।

उधर टाइम्स समाचारपत्र ने स्पष्ट किया है कि बहरैन की सरकार ने इस्राईल के साथ अरब देशों के संबन्धों को सामान्य करने की मांग की है. एेसा लगता है कि वर्तमान समय में मध्यपूर्व में इस्राईल के साथ संबन्ध सामान्य करने के बारे में नकारात्मक और सकारात्मक वातावरण पाया जाता है।

मध्यपूर्व की वर्तमान स्थिति से इस्राईल संतुष्ट है क्योंकि उसका मानना है कि क्षेत्र के परिवर्तन, उसके हित में है। इसका मुख्य कारण यह है कि यह परिवर्तन, ईस्राईल के साथ सऊदी अरब, बहरैन और संयुक्त अरब इमारात के बीच एक प्रकार के समन्वय का कारण बने हैं। यहां पर सवाल यह उठता है कि सऊदी अरब और बहरैन, इस्राईल के साथ अपने संबन्ध सामान्य करके चाहते क्या हैं? इसके जवाब में कहा जा सकता है इसका पहला उद्देश्य यह है कि यह देश चाहते हैं कि वे इस्राईल के माध्यम से अमरीका का अधिक से अधिक आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

रेयाज़ और मनामा का यह विश्वास है कि उनका अस्तित्व, पश्चिम विशेषकर अमरीका के समर्थन पर ही निर्भर है। सऊदी अरब का यह मानना है कि क्षेत्र में शक्ति का परिवर्तन, ईरान के पक्ष में झुकता जा रहा है। एेसी स्थिति में ईरान न केवल सीरिया में बश्शार असद के पतन में बाधा बना हुआ है बल्कि उसने हिज़बुल्लाह को पहले से अधिक शक्तिशाली कर दिया है।

अपनी इसी सोच के दृष्टिगत सऊदी अरब, ईरान के प्रभाव को रोकने के लिए इस्राईल के साथ सहकारिता करना चाहता है। सऊदी अरब और बहरैन एसी स्थिति में इस्राईल के साथ अपने संबन्धों को सामान्य बनाने के प्रयास कर रहे हैं कि जब सन 2000 और 2008 में इन देशों ने क़तर का इसिलए खुलकर विरोध किया था कि वह दोहा में इस्राईल के वाणिज्य कक्ष को बंद नहीं कर रहा है।

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