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सऊदी अरब रुक गया क़तर पर हमला करते करते?

Majid Khan
1 Nov 2017 1:30 PM GMT
सऊदी अरब रुक गया क़तर पर हमला करते करते?
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अंतर्राष्ट्रीय मीडिया और कुवैत के शासक शैख़ सबाह अलअहमद ने क़तर के विरुद्ध कई महीना पहले सऊदी अरब के सैनिक हमले की संभावना की बात कही है। इस मामले में रियाज़ ने वाशिंग्टन से बात भी की थी लेकिन अमरीका ने सऊदी अरब को बहुत कठोर स्वर में कहा कि वह इस प्रकार की कोई ग़लती न करे क्योंकि क़तर में अमेरिका की स्ट्रैटेजिक सैनिक छावनी है।

सऊदी अरब की अगुवाई में मिस्र, बहरैन और इमारात ने क़तर के शासक शैख़ तमीम की सरकार का तख्ता उलटने के लिए सैनिक कार्यवाही करने की योजना बना ली थी हालांकि यह देश इसका खंडन करते हैं। इस सैनिक कार्यवाही में सऊदी अरब और इमारात की सेनाएं तथा यमन की धरती पर सऊदी अरब द्वारा लाए गए किराए के सैनिक भाग लेने वाले थे जबकि मिस्र भी इस कार्यवाही में सीमित सहयोग करने वाला था।

कुवैत के अमीर शैख़ सबाह अलअहमद ने भी सितम्बर महीने में वाइट हाउस में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प से मुलाक़ात के बाद कहा कि उनकी मध्यस्थता की वजह से क़तर के विरुद्ध चारों देशों का सैनिक हमला टल गया था। चारों देशों ने बाद में कुवैत के शासक के इस बयान पर हैरत ज़ाहिर की थी। कुवैत के शासक ने वाइट हाउस में यह बयान निश्चित रूप से अमरीकी अधिकारियों से विमर्श कर लेने के बाद ही दिया होगा और उन्होंने ट्रम्प से भी ज़रूर इस बारे में बात कर ली होगी।

अमरीकी सूत्रों का कहना है कि अमरीका की फटकार पड़ने के बाद सऊदी अरब ने क़तर का नाकाबंदी में कुछ ढिलाई की थी। पेंटागोन ने सऊदी अरब से कह दिया था कि क़तर में अमरीका की स्ट्रैटेजिक सैनिक छावनी मौजूद होने के बावजूद इस देश पर हमला अमरीका का अपमान है क्योंकि इससे साबित होगा कि अमरीका अपने घटकों की भी सहायता नहीं कर सकता जिन्होंने वाशिंग्टन को सैनिक सुविधाएं दी हैं।

दूसरी ओर अमेरिकी कूटनयिकों ने सऊदी अरब और इमारात को यह संदेश दे दिया था कि यदि सऊदी अरब ने क़तर पर हमला किया तो यह कुवैत पर सद्दाम हुसैन के हमले की याद ताज़ा कर देगा और फिर अमेरिका की साख दांव पर लग जाएगी क्योंकि सद्दाम को कुवैत से बाहर निकालने के लिए अमेरिका ने कार्यवाही की थी। अमेरिकी रक्षा मंत्री मैटिस को क़तर पर हमला करने की सऊदी अरब की नीयत पर सबसे अधिक आश्चर्य हुआ था क्योंकि वर्ष 2013 तक वह अमेरिकी सैनिक नेतृत्व का हिस्सा थे और उन्हें क़तर में स्थित अमेरिकी ईदीद छावनी का महत्व मालूम है जिसकी मदद से अमेरिकी सेना सीरिया, इराक़ और यमन में हमले करती रही है।

यदि क़तर पर हमला हो जाता तो इससे छावनी को भी नुक़सान पहुंच सकता था। ईदीद छावनी में अमेरिका के बी-52 बम वर्षक विमान तैनात हैं। और यह भी कहा जाता है कि यदि उत्तरी कोरिया से अमेरिका का युद्ध शुरू हो जाता है तो ईदीद छावनी की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी। सऊदी अधिकारियों को अमेरिकियों ने चेतावनी दे दी थी कि यदि क़तर पर सऊदी अरब ने हमला किया तो उसे ईरान और तुर्की का भी सामना करना पड़ सकता है।

एसी स्थिति में कौन गैरेंटी दे सकता है कि ईरान जब मिसाइल हमला करेगा तो वह मिसाइल अमेरिकी छावनी पर नहीं गिरेगा। अमेरिकी टीकाकारों को भी सऊदी प्रशासन की इस नीयत पर बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि यमन युद्ध को अब तक सऊदी अरब निपटा पाने में नाकाम रहा है तथा यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के सिपाही युद्ध को सऊदी अरब की सीमाओं के भीतर ले जा रहे हैं। इन परिस्थितियों में यदि सऊदी अरब क़तर पर हमला करता है तो यह मध्यपूर्व में अमेरिका के सामरिक हितों को ख़तरे में डालने के समान होगा।

इसी लिए पेंटागोन ने सऊदी अरब के इरादों को वीटो कर दिया। क़तर के शासक शैख़ तमीम ने सीबीसी टीवी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में कहा कि सऊदी अरब और उसके घटक, दौहा का शासन बदलने का प्रयास कर रहे हैं, इसके बाद उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा यह देश क़तर की सरकार गिरा देने के प्रयास में है। सऊदी अरब और इमारात ने कहा कि क़तर का शासन बदलने क उनका कोई इरादा नहीं है। इमारात के विदेशी मामलों के मंत्री अनवर क़रक़ाश ने कहा कि उनका लक्ष्य क़तर की सत्ता नहीं उसकी नीतियों को बदलना है।

हालिया दिनों यह अटकलें भी लगाई जा रही थीं कि अमेरिका क़तर से अपनी सैनिक छावनी हटाने की कोशिश में है और सऊदी अरब तथा इमारात ने ज़मीन देने की पेशकश की है लेकिन फिर धीरे धीरे इन अटकलों पर विराम लग गया और अब नई परिस्थितियां सामने हैं।

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