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SC ने विदेश मंत्रालय को लगाई फटकार, बोलें- क्यों हो रही है माल्या के प्रत्यर्पण कार्रवाई में देरी?

आनंद शुक्ल
12 Dec 2017 9:39 AM GMT
SC ने विदेश मंत्रालय को लगाई फटकार, बोलें- क्यों हो रही है माल्या के प्रत्यर्पण कार्रवाई में देरी?
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माल्या पर बैंकों के कंसोर्टियम के 9000 करोड़ रुपए के ऋण को चुकता न करने का आरोप है। वह इन दिनों लंदन में रह रहा है।

लंदन: 61 वर्षीय माल्या सुनवाई के चौथे दिन लंदन के वेस्टमिंस्टर मैजिस्ट्रेट की अदालत में मौजूद रहे। उच्चतम न्यायालय ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण से संबंधित सुनवाई में हो रही देरी को लेकर केंद्र सरकार को आज कड़ी फटकार लगाई और विदेश मंत्रालय के सचिव को समन करने के संकेत भी दिए। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार के विधि अधिकारियों को माल्या के प्रत्यर्पण कार्रवाई में हो रही देरी का विस्तृत कारण बताने का भी निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत ने विदेश मंत्रालय को माल्या के प्रत्यर्पण कार्रवाई में विलंब के बारे में 15 दिसंबर तक विस्तृत जानकारी देने को कहा है। न्यायालय ने स्पष्ट किया यदि उसके आदेश पर अमल नहीं किया गया तो वह विदेश मंत्रालय के सचिव को समन करेगा। बता दे कि माल्या पर बैंकों के कंसोर्टियम के 9000 करोड़ रुपए के ऋण को चुकता न करने का आरोप है। वह इन दिनों लंदन में रह रहा है। माल्या के खिलाफ इस दावे में भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, कॉरपोरेशन बैंक, फेडरल बैंक लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और जेएम फाइनेंशियल एसेट रीकंस्ट्रक्शंस कंपनी प्राइवेट लिमिटेड सूचीबद्ध आवेदक हैं।

इस दौरान उनके वकीलों ने भारत की न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए। उनकी वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) और उच्चतम न्यायालय के फैसलों पर अपनी राय देने के लिए डॉ मार्टिन लाउ को पेश किया। डॉ लाउ दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ हैं। डॉ लाउ ने सिंगापुर और हांग कांग के तीन अकादमिकों द्वारा किए गए एक अनाम अध्ययन का हवाला देते हुए सेवानिवृत्ति के करीब पहुंचे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए। लाउ ने कहा, 'मैं भारत के उच्चतम न्यायालय का काफी सम्मान करता हूं। मगर, कभी-कभी खास पैटर्न्स को लेकर कुछ दुविधाएं भी हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट एक भ्रष्ट संस्था है। कभी-कभी यह सरकार के पक्ष में फैसला देती है, खासकर जब जज रिटायर होने की कगार पर होते हैं और रिटायरमेंट के बाद किसी सरकारी पद की चाहत रखते हैं। प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई गुरुवार को खत्म होने की संभावना है।

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