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सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान शाही ख़ानदान के राजकुमारों और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ़ लगातार कार्यवाही कर रहे हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार के संदेह में पकड़े गए लोगों से संबंधित कंपनियों और संस्थाओं से कहा है कि वह अपना काम करती रहें लेकिन वित्तीय लेनदेन पर रोक लगा दी गई है।
सऊदी अरब की सरकारी समाचार एजेसीं ने बताया कि मुहम्मद बिन सलमान के आदेश के अनुसार पकड़े गए लोगों की कंपनियां नियमित रूप से अपना काम करती रहेंगी। इस तरह रियाज़ सरकार यह संकेत देना चाहता है कि वह न्यायिक मापदंडों का ख़याल रख रहे हैं लेकिन टीकाकारों का मानना है कि सरकार पकड़े गए लोगों की कंपनियों की आमदनी को अपना बजट घाटा पूरा करने के लिए प्रयोग करना चाहती है। इस लिए उसकी कोशिश है कि कंपनियां बंद न हों।
मुहम्मद बिन सलमान की अध्यक्षता में मंगलवार को रियाज़ के यमामा पैलेस में आर्थिक मामलों की काउंसिल की बैठक हुई जिसमें यह फ़ैसला किया गया है। बैठक में इस बात पर सहमति थी कि यदि सारी कंपनियां अपना काम करती रहेंगी तो इससे देश की अर्थ व्यवस्था को मदद मिलेगी और रोज़गार सृजन की प्रक्रिया भी जारी रहेगी। ज्ञात रहे कि गत शनिवार को अचानक 11 राजकुमारों और 4 वर्ममान मंत्रियों सहित दर्जनों लोगों को गिरफ़तार कर लिया गया जबकि गिरफ़तारियां अब भी जारी हैं।
सूचना है कि 1000 से 1300 तक बैंक खातों को सील कर दिया गया है जबकि सील किए जाने वाले बैंक खातों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है क्योंकि लगातार नए लोग गिरफ़तार हो रहे हैं। सऊदी अरब में 24 घंटे के भीतर दो राजकुमारों की हत्या के बाद इस देश में राजनीतिक संकट और गहरा गया है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों व टीकाकारों का मानना है कि सऊदी अरब की राजशाही व्यवस्था में परिवर्तन और शाही परिवार के कुछ सदस्यों की गिरफ़्तारी 85 वर्षीय तानाशाही में बुनियादी परिवर्तन की सूचक है।
यह स्थिति रियाज़ और वाशिंग्टन के मध्य स्थापित हुए निकट संबंधों के लिए ख़तरनाक है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने भ्रष्टाचार के आरोप में दसियों मंत्रियों, पूर्व अधिकारियों और युवराजों को उनके पदों से हटा दिया और कुछ को गिरफ़्तार कर लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सऊदी अरब में गृहयुद्ध की संभावना अधिक हो गई है, विशेषकर इसलिए कि जो गिरफ़्तारियां हुई हैं उनसे ऐसा लग रहा है कि यह राजनीति से प्रभावित हैं भ्रष्टाचार से नहीं।
32 वर्षीय युवराज मोहम्मद बिन सलमान के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दामाद जार्ड कोश्नर से घनिष्ठ संबंध हैं। यह ऐसी स्थिति में है जब डोनाल्ड ट्रम्प ने भी सऊदी नरेश, मलिक सलमान से अच्छे संबंध स्थापित कर रखे हैं जिसे वे अच्छे संबंध के नाम से याद करते हैं सत्ता संभालने के बाद ट्रम्प ने सबसे पहले सऊदी अरब की यात्रा की।
ट्रम्प सरकार ने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा के अधिकारियों व विशेषज्ञों की सऊदी अरब की कुछ नीतियों पर चिंता को ध्यान में रखे बिना रियाज़ के साथ संबंधों को घनिष्ठ कर लिया है। इसी प्रकार विशेषज्ञ उन ख़तरों की ओर संकेत करते हैं जो यमन युद्ध के कारण हैं विशेषकर अगर यह स्पष्ट हो जाये कि अमेरिका इस युद्ध में आले सऊद की तानाशाही सरकार के साथ सांठ-गांठ किये हुए है।
भ्रष्टाचार के आरोप में 11 प्रिंस गिरफ्तार, सऊदी अरब के वरिष्ठ शहजादे बर्खास्त