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सेशेल्स के राष्ट्रपति का दिल्ली दौरे से पहले बड़ा झटका, रद्द किया ये बड़ा करार
सेशेल्स के राष्ट्रपति डैनी फॉरे ने भारत के दौरे से पहले एक बड़ा झटका दिया है. उन्होंने कहा है कि अब वो भारत के साथ असम्पशन द्वीप पर नौसैनिक बेस बनाने की परियोजना पर अब आगे काम नहीं करेंगें. इसके बजाय सेशेल्स खुद अपनी सैन्य शक्ति पर सेल्फ ही कार्य करेगा. भारत और सेशेल्स के बीच इस परियोजना पर 2015 में समझौता हुआ था. दोनों देशों ने इसे गुप्त रखने का फैसला किया था. लेकिन कुछ ही दिन पहले परियोजना की जानकारी लीक हो गई थी. इसके बाद सेशेल्स के राजनीतिक दलों ने फॉरे का विरोध शुरू कर दिया था. फॉरे इसी महीने 26 तारीख को द्विपक्षीय वार्ता के लिए भारत दौरे पर आने वाले हैं. इसके एक सप्ताह इस तरह के बयान आने का मतलब कुछ और ही कहता है.
सेशेल्स और भारत के बीच हुए समझौते
2015 में सेशेल्स-भारत के बीच नौसैनिक बेस बनाने को लेकर समझौता हुआ था
अब सेशेल्स फ्रांस से सामुद्रिक सुरक्षा के मसले पर डील करना चाहता है
फ्रांस का मकसद हिंद महासागर क्षेत्र में रह रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा करना है
फ़ॉरे ने कहा था कि 2019 के बजट में हम असम्पशन में कोस्टगार्ड सेवा शुरू करने के लिए फंड्स मुहैया कराएगें. फ़ॉरे ने कहा कि अब भारतीय नेत्रत्व से इस समझौते के तहत कोई बात नहीं करेंगे. जबकि इस परियोजना को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है.
भारत लंबे समय से सेशेल्स की राजधानी माहे के दक्षिण-पश्चिम में मौजूद असम्पशन द्वीप में नौसैनिक बेस तैयार करना चाहता है. इसकी एक वजह क्षेत्र में तेजी से बढ़ती चीन की मौजूदगी है. भारत यहां तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर कूटनीतिक बढ़त बनाना चाहता है. भारत और सेशेल्स के बीच असम्पशन द्वीप को लेकर पहला समझौता 2015 में हुआ था. तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आधिकारिक दौरे पर सेशेल्स पहुंचे थे. इसी साल की शुरूआत में दोनों देशों ने समझौते को आखिरी रूप दिया था.
भारत के इस समझौते को लेकर एक करार ये भी हुआ था कि कोई भी देश इस परियोजना को लीक नहीं करेगा लेकिन इसके कागजात लीक होने से सेशेल्स के राष्ट्रपति को संसद में बयान देना पड़ा. उन्होंने कहा कि इस तरह कोई समझौता नहीं हुआ है. न ही होगा. फिर भी विपक्षी पार्टी फ़ॉरे का विरोध कर रही है. हालांकि फ़ॉरे की 26 जून को भारत की यात्रा प्रस्तावित है.