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दिल दहलाने बाली खबर, काट ले रहे प्राइवेट पार्ट, खा रहे इंसानी मांस!

दिल दहलाने बाली खबर, काट ले रहे प्राइवेट पार्ट, खा रहे इंसानी मांस!
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विद्रोहियों से प्रभावित मध्य अफ्रीका के तीसरे सबसे बड़े देश कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य से एक कंपा देने वाली रिपोर्ट सामने आई है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट खुलासा करती है कि कांगो में भारी तदात में बलात्कार और इंसानों का मांस खाए जाने समेत क्रूरता की हद तक अत्याचारों की घटनाएं दर्ज की जा रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती कि देश के कसई प्रांत से ऐसे साक्ष्य मिले हैं जिनके मुताबिक लड़कों को उनकी मां का बलात्कार करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, छोटी बच्चियों को कहा जा रहा कि जादू-टोना उन्हें सेना की गोलियों से बचा लेगा और महिलाओं को सामूहिक बलात्कार या मौत चुनने के लिए मजबूर किया जा रहा है।


संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार विशेषज्ञों की एक टीम की रिपोर्ट के मुताबिक कांगों में सशस्त्र सेना और विद्रोहियों के बीच लड़ाई में दोनों तरफ से क्रूरता बरती जा रही है, जिसमें नागरिकों की सिर धड़ से अलग करना भी शामिल है। इस रिपोर्ट के जरिये मानवाधिकार टीम ने कहा है कि दुनिया को वहां ध्यान देने की जरूरत है। कांगो के विद्रोह प्रभावित इलाके में पड़ताल में लगी एक टीम मे पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार काउंसिल को बताया कि कांगों में युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों में सभी पक्षों के गुनहगार होने पर संदेह है।


टीम की 126 पन्नों की रिपोर्ट में सरकारी सेना और विद्रोहिओं के बीच संघर्ष में हुए भयानक हमलों का जिक्र है, जिनमें 2016 के आखिर में कमुइना सापू और बाना मुरा विद्रोही गुटो और कांगो की सशस्त्र सेना के भड़क उठने के बारे में बताया गया है। कांगो की मानवाधिकार मंत्री मैरी-एंज मुशोबेकवा ने काउंसिल को बताया कि जो भी कसई में हुआ उसे बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं।


रिपोर्ट में कहा गया है कि एक पीड़िता ने उन्हें बताया कि मई 2017 में उसने कमुइना सापू विद्रोही गुट को देखा था, उनमें से कुछ लोग महिलाओं के जननांगों के भागों को मेडल की तरह पहने हुए थे। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ चश्मदीदों ने बताया कि उन्होंने लोगों को इंसानी मांस को काटते, पाकाते और खाते हुए देखा और यह भी देखा कि वे लोग जिंदा पुरुषों और लाशों के प्राइवेट पार्ट तक काटकर उनका इस्तेमाल इसी तरह कर रहे थे खासकर कांगों के सशस्त्र सेना के जवानों के साथ ऐसा किया जा रहा था और वे इंसानों का खून पी रहे थे।



मुख्य जांचकर्ता बेकरे वाली डियाये ने एक घटना के बारे में काउंसिल को बताया कि कमुइना सापू ने एक गांव के कम से कम 186 पुरुषों और लड़कों सिर धड़ से अलग कर दिए थे, उनमें से ज्यादातर बच्चे थे, उन्हें लड़ने के लिए मजबूर किया गया था और यह समझा दिया गया था कि जादू के कारण बदूक की गोलियों का उन पर असर नहीं होगा। विद्रोही सेना में शामिल ऐसे कई बच्चे कांगो सेना की मशीनगन्स से निकली अंधाधुंध गोलियों से मारे गए थे।


कांगो सरकार के प्रवक्ता ने यूएन की इस रिपोर्ट पर संदेह जताया है और कहा है कि इसे कांगों में मजिस्ट्रेट के पास भेजना चाहिए। उन्होंने इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित प्रेस अभियान बताया है। मुशोबेकवा ने भी माना है कि जो भी जानकारी हाथ लगी है उस पर संदेह की गुजाइश बनती है क्योंकि जांच काफी तेजी से की गई है, हालांकि उन्होंने कांगों सरकार से मिले पूर्ण सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि एक बात बिल्कुल निश्चित है, इन अपराधों के लिए जिम्मेदार कानून प्रवर्तन और सुरक्षा बलों के प्रत्येक तत्व को उनके कामों की जवाबदेही देनी होगी और दोषी पाए जाने पर उन्हें गंभीर रूप से दंडित किया जाएगा।

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