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अमेरिका ने ईरान पर एक नया आरोप लगते हुए उन देशों की सूची में शामिल कर दिया है जो मानव तस्करी से मुकाबला नहीं करते हैं। एक रिपोर्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संबंध में कुछ देश न केवल किसी बात का ध्यान नहीं रखते बल्कि अमेरिकी दावे के अनुसार इस संबंध में कोई प्रयास ही अंजाम नहीं देते हैं।
मानव तस्करी या इंसानों का व्यापार एक अंतरराष्ट्रीय अभिशाप है परंतु अमेरिकी विदेशमंत्रालय को चाहिये था कि इस प्रकार की रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले वह अमेरिकी क्रिया- कलापों पर एक दृष्टि डाल लेता ताकि उसे पता चल जाता कि वह किस प्रकार के अतीत के साथ मानवाधिकारों की रक्षा का दम भरता है और किस प्रकार वह स्वयं को दासता और मानव तस्करी से मुकाबले का अगुवा बताता है।
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अमेरिकी इतिहास का अध्ययन करने से हमें ज्ञात हो जाता है कि अमेरिका ने अपनी स्वतंत्रता व स्वाधीनता की आधिकारिक घोषणा उस ज़मीन में की जिसके मूल निवासी वर्षों पहले से वहां रह रहे थे। यूरोप और दूसरे क्षेत्रों से जो लोग पलायन करके अमेरिका गये थे उन्होंने वहां के मूल निवानियों की ज़मीनों पर कब्ज़ा करने के लिए उनसे युद्ध किया। इस युद्ध के परिणाम में बहुत से स्थानीय लोग मारे गये और उनकी प्राचीन सभ्यता नष्ट हो गयी और जो लोग बच गये उन्हें दास बना लिया गया। पलायनकर्ता अमेरिकियों के प्रवेश के आरंभ से ही अमेरिका में दासता आरंभ हो गयी जो वर्षों जारी रही। इस समय भी नस्ली सफाये की लड़ाई समाप्त हो जाने के बाद अमेरिका में मानवता के मूल्य का आधार दासता और जातिवादी सोच है। मानवाधिकारों का हनन, दासता का बर्ताव और मानव तस्करी को अमेरिका में एक साथ देखा जा सकता है।
अमेरिका में आधिकारिक संगठनों की रिपोर्ट इस बात की सूचक है कि प्रतिवर्ष कानूनी उम्र से कम की एक लाख से अधिक लड़कियों को यौन शोषण के लिए बेचा- खरीदा जाता है। यहां तक कि वाशिंग्टन में भी यौन शोषण के लिए लड़कियों का व्यापार होता है। इसी प्रकार रिपोर्टें इस बात की सूचक हैं कि जो तीस लाख मानव तस्करी होती है उनमें से लगभग आधी का अंतिम गंतव्य अमेरिका और यूरोप होता है।