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अपनों के कंधो की आस में महीनों से रिम्स के शवगृह में पड़े 33 शवों को आज रविवार को मुक्ति मिल गई. रांची की संस्था मुक्ति ने 33 लावारिश लाशों का जुमार पुल के नीचे सामूहिक अंतिम संस्कार कर दिया.
दुनिया में ऐसे बदनसीब भी होते हैं जिन्हें मरने के बाद अपनों का कंधा तो दूर उनका अंतिम संस्कार भी नहीं हो पाता. राजधानी रांची की एक स्वयंसेवी संस्था मुक्ति ऐसे शवों का अंतिम संस्कार कर मुक्ति दिलाती है. आज रिम्स में पड़े 33 लावारिस शवों का सामूहिक अंतिम संस्कार विभिन्न धार्मिक परम्पराओं का निर्वहन करते हुए किया गया.
मुक्ति ने लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार की यह पहल हजारीबाग मुर्दा कल्याण समिति की प्रेरणा से शुरू की है. रांची में पहले हजारीबाग मुर्दा कल्याण समिति ही लावारिश लाशों का सामूहिक अंतिम संस्कार किया करती थी. अब मुक्ति ने ये जिम्मेदारी उठा ली है. संस्था के सदस्यों की माने तो संस्था ने बीते तीन साल में 501 लावारिस लाशों का न सिर्फ अंतिम संस्कार किया बल्कि धार्मिक रीति रिवाजों के तहत गरीबों को सामूहिक भोजन और मृतक के नाम पर दान का भी काम किया.
लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी कर रखा है जिसके अनुसार प्रति लाश 5 हजार रूपए खर्च करना है. लेकिन न तो अस्पताल प्रबंधन और न ही पुलिस या नगर निगम इस पर इतनी राशि खर्च करती है. ऐसे में मुक्ति ने अज्ञात लाशों का सामूहिक अंतिम संस्कार कर लावारिस लाशों के प्रति सामाजिक दायित्व निभाने का प्रयास किया. संस्था के सदस्यों की माने तो संस्था अब तक पांच सौ एक अज्ञात शवों को मुक्ति दिला चुकी है.
शिव कुमार मिश्र
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