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बीजेपी ने कर्नाटक में चली यह चाल, जद एस और कांग्रेस की उड़ीं हवाइयां!

बीजेपी ने कर्नाटक में चली यह चाल, जद एस और कांग्रेस की उड़ीं हवाइयां!
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कर्नाटक में अभी नाटकीय दौर चालू है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा जब फ्लोर टेस्ट में जाए बिना इस्तीफा देकर सदन से चले गए. अब उन्होंने फिर एक नई चाल चलकर सरकार के सामने संकट खड़ा कर दिया है. बीजेपी ने विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में उम्मीदवार उतार दिया है. जबकि आज ही कुमार स्वामी सरकार को अपना बहुमत सिद्ध करना है. बीजेपी ने ये अपनी दोहरी चाल चली है.


बीजेपी ने सोचा है कि अगर हमारा विधानसभा अध्यक्ष चुन जाएगा तो जब हम चाहेंगे तब पार्टियों में तोड़ फोड़ कर देंगें और इसका श्रेय कांग्रेस के उपर डालकर उनकी हालत पतली कर देंगे. कर्नाटक के नवनियुक्त मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी आज बहुमत परीक्षण का सामना करेंगे, इस बीच BJP ने स्पीकर पोस्ट के लिए अपना उम्मीदवार उतार कर सरकार की टेंशन बढ़ा दी है. सीएम के फ्लोर टेस्ट से पहले स्पीकर के चुनाव के कारण कांग्रेस-जेडीएस सरकार को दोहरे शक्ति परीक्षण से गुजरना होगा. कांग्रेस-जेडीएस की ओर से पूर्व स्पीकर और स्वास्थ्य मंत्री के.आर. रमेश उम्मीदवार हैं, अब बीजेपी की ओर से पूर्व कानून मंत्री एस. सुरेश कुमार मैदान में आ गए हैं.

बीजेपी और जनता दल एस- कांग्रेस की ख़ास बातें

1- बहुमत से पहले ही कांग्रेस के बदले तेवर

बहुमत परीक्षण से पहले ही कांग्रेस की ओर से साफ कर दिया गया है कि उसने जेडीएस के साथ 5 साल तक सरकार चलाने को लेकर अभी फैसला नहीं लिया है. कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और डेप्युटी सीएम परमेश्वर ने कहा कि इस मुद्दे पर अभी चर्चा होनी है और अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है. इससे एक बात तो तय है कि जेडीएस के नेता कुमारस्वामी के लिए 5 साल तक सरकार चला पाना आसान नहीं होगा.

2- बीजेपी भी हताश नहीं, देगी चुनौती

इससे पहले जेडीएस-कांग्रेस और बीएसपी गठबंधन के नेता कुमारस्वामी ने बुधवार को विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं की मौजूदगी में शपथ ग्रहण किया था. उधर, बीजेपी के तेवर से साफ है कि येदियुरप्पा के पद छोड़ने के बाद भी वह हताश नहीं है. गठबंधन सरकार को चुनौती देने के लिए ही पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए पांच बार के अपने विधायक सुरेश कुमार को मैदान में उतारा है.


3- आज है दोहरा शक्ति परीक्षण

मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के लिए बहुमत साबित करना भले ही आसान हो पर स्पीकर पोस्ट के लिए सियासी लड़ाई दिलचस्प हो गई है. ऐसे में आज दोहरे शक्ति परीक्षण की स्थिति बन गई है। स्पीकर पोस्ट के लिए बीजेपी उम्मीदवार एस. सुरेश कुमार ने कहा, 'संख्या बल और कई अन्य कारकों के आधार पर हमारी पार्टी के नेताओं को विश्वास है कि मैं ही जीतूंगा। इसी विश्वास के साथ मैंने नामांकन दाखिल किया है।' यह पूछने पर कि बीजेपी के केवल 104 विधायक हैं तो ऐसे में उनके जीतने की संभावना क्या है, सुरेश कुमार ने कहा, 'मैंने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। शुक्रवार दोपहर सवा बारह बजे चुनाव है। चुनाव के बाद आपको पता चल जाएगा।'

4- बीजेपी को मौका नहीं देना चाहता गठबंधन

खबर है कि फ्लोर टेस्ट से पहले कांग्रेस और जेडीएस ने अपने विधायकों को फिर से होटल भेज दिया है। दरअसल, गठबंधन सरकार को डर है कि कहीं कोई विधायक बीजेपी के पाले में न चला जाए। बताया जा रहा है कि विधायकों को उनके परिवार से भी संपर्क नहीं करने दिया जा रहा है। उनके मोबाइल भी ले लिए गए हैं। माना जा रहा है कि कुमारस्वामी के बहुमत हासिल करने के बाद विधायकों को अपने घर जाने दिया जाएगा।

5- सिद्धारमैया का अपना दावा

उधर, कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने गठबंधन उम्मीदवार की जीत को लेकर विश्वास जताया है। उन्होंने कहा, 'मुझे पता चला है कि बीजेपी ने भी नामांकन दाखिल किया है। मुझे उम्मीद है कि वह अपना नाम वापस ले लेगी। यदि चुनाव होता है तो रमेश कुमार की जीत निश्चित है।' सीएम कुमारस्वामी के विश्वासमत हासिल करने की संभावना है लेकिन उनके लिए मंत्रिमंडल का विस्तार मुश्किल साबित होने वाला है।

6- इस समय विधानसभा में 221 विधायक

बता दें कि 224 सदस्यों वाले कर्नाटक विधानसभा में 221 विधायक ही हैं। बीजेपी के उम्मीदवार की मौत के बाद जयनगर सीट पर चुनाव टाल दिया गया था और कदाचार के आरोपों के कारण आरआर नगर सीट पर मतदान स्थगित कर दिया गया था। इसके अलावा कुमारस्वामी दो सीटों पर चुनकर आए हैं। शपथ लेने के बाद कुमारस्वामी ने विश्वास मत हासिल करने का विश्वास जताया था।

7- कुमारस्वामी को 'डर'

कुमारस्वामी ने पहले आशंका जताई थी कि उनकी सरकार को गिराने के लिए बीजेपी 'ऑपरेशन कमल' दोहराने का प्रयास कर सकती है। कर्नाटक के राजनीतिक इतिहास में 'ऑपरेशन कमल' शब्द साल 2008 में उस वक्त उछला था, जब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद संभाला था। पार्टी को साधारण बहुमत के लिए तीन विधायकों की जरूरत थी। 'ऑपरेशन कमल' के तहत कांग्रेस और जेडीएस के कुछ विधायकों को बीजेपी में शामिल होने के लिए राजी किया गया था। उनसे कहा गया था कि वे विधानसभा की अपनी सदस्यता छोड़कर फिर से चुनाव लड़ें। उनके इस्तीफे की वजह से विश्वास मत के दौरान जीत के लिए जरूरी संख्या कम हो गई थी और फिर येदियुरप्पा विश्वासमत जीत गए थे।

8- क्या शिवकुमार हैं नाराज?

खबरों की मानें तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री पद के लिए उनकी अनदेखी किए जाने से खुश नहीं है। पार्टी ने दलित चेहरा जी परमेश्वर को उपमुख्यमंत्री बनाया है। शिवकुमार ने कहा था, 'क्या यह उन लोगों के लिए एक समान है जो एक सीट जीतते हैं या जो राज्य जीतते हैं। मैं संन्यास लेने राजनीति में नहीं आया हूं। मैं शतरंज खेलूंगा फुटबाल नहीं।'

अब देखना है कि विधानसभा की शाम को तस्वीर कैसी होती है.

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