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तनावग्रस्त लोग अपने लक्ष्य से रहते हैं कोसों दूर, जानते है क्यों?
शिव कुमार मिश्र
27 May 2018 4:14 PM GMT
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वैसे लोग जो मानसिक परेशानी से गुजर रहे हैं या जिनमें चिंता और तनाव के लक्षण हैं वह अपने निजी लक्ष्यों को पूरा करने के मामले में बेहद बंटे हुए होते हैं. वह यह नहीं समझ पाते हैं उन्हें किस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एक्स्टर और एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी ने 200 से ज्यादा युवओं को लेकर एक सर्वेक्षण किया. इसमें इसका अध्ययन किया गया कि तनाव से गुजर रहे लोग अपने एक लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ने के दौरान दूसरे लक्ष्य का पीछा करने में मानसिक द्वंद्व का सामना करते हैं.
इसके अलावा एक लक्ष्य का पीछा करने के दौरान अलग - अलग तरह के विचारों के आने के बारे में अध्ययन किया गया. अध्ययन के परिणाम में यह निकलकर सामने आया कि लक्ष्यों को हासिल करने का द्वंद्व सीधे तौर पर तनाव और चिंता से जुड़ा हुआ था.
मोबाइल का अधिक इस्तेमाल बढ़ा सकता है तनाव और घबराहटः शोध
आज के समय लगभग हर किसी के पास स्मार्ट फोन देखा जा सकता है. स्मार्ट फोन में इतने फीचर्स आ गए हैं कि लोगों का काम काफी हद तक आसान हो गया है. एक छोटे से मोबाइल में लगभग हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं. आप घर बैठे ही कई काम बड़ी आसानी से कर सकते हैं लेकिन जहां एक ओर मोबाइल आपके काम को आसान बना रहा है तो वहीं आपको तनाव की ओर धकेल रही है.
जी हां, अगर आपके मोबाइल या सोशल मीडिया एकांउट पर किसी तरह का मैसेज या नोटिफिकेशन न आए या आपके फोन की बैटरी खत्म हो जाए, तो आपको लगने लगता है कि आपके आस-पास अब दुनिया थम गई है. आप जब तक अपने फोन को चार्जिंग पर लगाकर उसे चार्ज नहीं कर लेते आप उसी के बारे में सोचते रहते हैं. कई बार फोन की टेंशन के चलते लोग अकेला महसूस करने लगते हैं और डिप्रेशन का शिकार होने लगते हैं.
सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन में, शोधकर्ता एरिक पेपर और रिचर्ड हार्वे ने बताया है कि स्मार्टफोन का अधिक यूज इसके दुरुपयोग की तरह है. पेपर ने इसे समझाते हुए कहा कि "स्मार्टफोन का अधिक उपयोग मस्तिष्क से न्यूरोलॉजिकल कनेक्शन बनाने लगता है" जिससे ये जरूरी न होते हुए भी जरूरी लगने लगता है.
ये बिल्कुल वैसा ही है जैसे लोग दर्द से मुक्ति पाने के लिए ऑक्सीनटिन लेने लगते हैं. पेपर ने कहा कि सोशल मीडिया की लत समाज पर बुरा असर डालती है. स्मार्टफोन के अधिक इस्तेमाल से कहीं न कहीं हमारा दिमाग इससे कनेक्ट होने लगता है और समाज से अलग करने लगता है.
सैन फ्रेंसिस्को के 135 स्टूडेंट पर किए इस अध्ययन में पेपर और हार्वे ने पाया कि वे स्टूडेंट जो अपने फोन का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं वे अपने-आप को बाकि लोगों से अलग, अकेला, तनावपूर्ण और चिंतित महसूस करते हैं. पीमेर ने कहा कि यह गतिविधि शरीर और मन को थोड़े समय के लिए आराम करने की इजाजत देती है. "सेमी-टास्किंग" के परिणामस्वरूप लोगों ने एक ही समय में दो या दो से अधिक कार्य किए, लेकिन अगर उनका ध्यान केंद्रित होता तो वे एक समय में एक ही कार्य करते.
इनपुट भाषा
शिव कुमार मिश्र
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