- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
x
परिस्थितियों के चलते या किसी विशेष जरूरतों के लिए कर्जा लेना एक आम बात है, लेकिन कई बार कर्ज का ये मर्ज लगातार बढ़ता जाता है और व्यक्ति एक तरह से फंस जाता है. इस दिवाली पर अाइए आपको बताते हैं कर्ज के इस मर्ज से बाहर निकालने के 10 उपाय.
ये है दस बड़े उपाय
- हमेशा बचत करें: कहा जाता है कि लोग जितना ज्यादा कमाते जाते हैं, उनके खर्चे उतने ही बढ़ते जाते हैं. ऐसे में कमाई कम होते ही वो कर्ज लेने की स्थिति में चला जाता है और बहुत जल्द कर्जदार भी हो जाता है, लेकिन पर अगर आप की आदत बचत करने की रही है, तो आप कर्जदार होने से बचे रह जाते हैं, इसलिए जरूरी है कि कमाई का कुछ हिस्सा बचत खाते में डालते रहें.
- लक्ष्य तय करें: कमाई और खर्च के बीच में बचत के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करें. कितना खर्च कहां करना और कितना धन बचाना है. इसपर कड़ाई से अमल भी करें.
- भविष्य की योजनाएं बनाएं: जो लोग आज में जीते हैं, वो आगे चलकर परेशानी में जीते हैं. ऐसे में भविष्य को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाएं और उस हिसाब से बचत करें.
- क्रेडिट कार्ड का कम इस्तेमाल करें: खर्च करते समय कैश में खर्च करेंगे, तो कर्जदार होने और ज्यादा खर्च की आदत धीरे-धीरे जाती रहेगी. क्रेडिट कार्ड रखने का मतलब है खरीददारी के बाद निश्चित समय में पैसों को वापस करना, लेकिन कई बार पैसे जमा न हो पाने पर आपके क्रेडिट स्कोर पर भी असर पड़ता है, वहीं कई बार ज्यादा खर्च भी हो जाता है.
- कंजूस बनें: कई बार हम मार्केट जाते हैं और गैर-जरूरी चीजें खरीदकर ले आते हैं. ऐसे में जरूरी है, जो चीजें खरीदनी हो और लिस्ट बनी हो, उसी के हिसाब से खरीददारी करें.
- इमरजेंसी फंड की व्यवस्था करें: कमाई का कुछ हिस्सा इमरजेंसी फंड के तौर पर सुरक्षित रखें. किसी दुर्घटना की स्थिति में ताकि आपको किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े.
- खर्च करते समय धैर्य रखें: कई बार आप कोई सामान खरीदने के लिए जाते हैं और मनमानी कीमत पर खरीद लाते हैं. ऐसे में खरीददारी करते समय थोड़ा धैर्य रखें और मार्केट का हाल जान लें. 10 में से 9 बार हम ज्यादा कीमत पर सामान खरीद लाते हैं, जबकि वो कहीं और से लेने पर सस्ते में मिल जाती.
- बैंक स्टेटमेंट पर तीखी नजर रखें: जी हां, कई बार बैंक से गए पैसों का हिसाब-किताब हम नहीं रख पाते और फालतू जगह गए पैसों का हिसाब नहीं रखते तो खाता गड़बड़ा जाता है. ऐसे में हर खर्च का हिसाब रखें.
- तय सामानों की खरीद के लिए करें क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल: अगर आप घर का सामान हर माह की जरूरत के हिसाब से खरीदते हैं, तो क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करें. इससे आप तय समय पर बिल भी भर देंगे और आपका क्रेडिट स्कोर मजबूत होगा.
- बजट तय करें: कर्जमुक्त रहना है तो कमाई को देखते हुए घर का बजट तय करें. कई बार अंधाधुंध खर्च करने के बाद माह के आखिर में थोड़े से भी पैसे नहीं बचते. ये आदत बदलनी होगी और बजट को तय करना सीखना होगा.
Next Story