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आइये जाने चन्द गद्दार राजाओं को, जिनके कारण देश ने भारी कीमत चुकायी
हमारे भारत को प्राचीन काल से ही सोने की चिड़िया कहलाने का गौरव प्राप्त था, लेकिन जब सोने की चिड़िया कहे जाने वाले हमारे भारत पर अंग्रेजों ने कब्ज़ा किया उसके बाद भारत से वो गौरव छिन गया. हम सभी ने जब भी अपने इतिहास के बारे में पढ़ा या सुना है तो उससे हमे बस यही पता चलता है कि हमारे भारत को बर्बाद करने के पीछे ना केवल अंग्रेजों का बल्कि कई आक्रमणकारीयों का भी हाथ रहा है. हम हमेशा भारत के बाहर से आये अंग्रेजों को ही दोषी मानते रहे हैं, जबकि उनसे ज्यादा भारत को बर्बाद करने के पीछे भारत के ही लोगों का हाथ रहा है. आज हम आपको भारत के उन गद्दारों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके कारण ही सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत का आज ये हाल है.
हमारे भारत में प्राचीनकाल से धोखेबाजों के लिए कई प्रकार की कहावतों का इस्तेमाल किया जाता रहा है, जैसे कि पीठ पर खंजर, विभीषण होना या जयचंद होना. इन सभी कहावतों में एक बात समान है कि इन सभी कहावतें में जिन लोगों का जिक्र किया गया है उन सभी को धोकेबाज माना जाता रहा है. जहाँ एक तरफ लाखों स्वतंत्रा सेनानियों ने अपनी जान देश के लिए कुर्बान की थी। वहीँ दूसरी तरफ कई हिन्दुस्तानी ऐसे भी हुये है जिनकी गद्दारी की वजह से भारत को आजाद होने में करीब 100 साल लग गए। इन कुछ गद्दार हिन्दुस्तानियों ने हमारी नींव कमजोर कर दी जिसकी वजह से हिंदुस्तान को आजादी मिलने में देरी हो गई।
इतिहास गवाह है कि, जितने जुल्म-सितम के लिए अंग्रेज जिम्मेदार है, उतने ही हिन्दुस्तानी गद्दार भी जिम्मेदार है, जिन्होंने अपने फायदे के लिए अंग्रेजों का साथ दिया और हिंदुस्तान को गुलामी की जंजीरों में जकड़ के रखा। इनकी वजह से ही हिंदुस्तान को आजादी मिलने में इतने ज्यादा साल लग गए। इन गद्दारों ने अपने फायदे के कारण अंग्रेजों का साथ दिया जिसका खामियाजा पुरे देश को भुगतना पड़ा था। अगर ये लोग अपने देश के साथ गद्दारी न करते तो हिंदुस्तान 1857 में ही आजाद हो गया होता। अगर उस समय हिंदुस्तान को आजादी मिल जाती तो शायद आज देश के तीन टुकड़े न हुये होते।