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अटल बिहारी वाजपेयी, प्रणब मुखर्जी और मनमोहन सिंह से छिन जाएगा सरकारी बंगला?

Arun Mishra
7 Jan 2018 6:30 AM GMT
अटल बिहारी वाजपेयी, प्रणब मुखर्जी और मनमोहन सिंह से छिन जाएगा सरकारी बंगला?
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इन नेताओं को लुटियंस जोन स्थित अपने सरकारी बंगले खाली करने पड़ सकते हैं?
नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को लुटियंस जोन स्थित अपने सरकारी बंगले खाली करने पड़ सकते हैं। पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम के सुझावों को यदि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मान लिया जाता है तो देश के सर्वोच्च पदों पर रही इन हस्तियों को अपने आवास छोड़ने होंगे। बीते साल 23 अगस्त को एनजीओ 'लोक प्रहरी' की ओर से जारी जनहित याचिका पर जस्टिस रंजन गोगोई और नवीन सिन्हा की अदालत ने गोपाल सुब्रमण्यम को इस मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था।

गैरसरकारी संस्‍था 'लोक प्रहरि' ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर उतर प्रदेश में लागू एक कानून को चुनौती दी है। इसके तहत राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को सरकारी बंगला मुहैया कराने की व्‍यवस्‍था की गई है। 'टाइम्‍स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक, गोपाल सुब्रमण्‍यम ने हाल में ही शीर्ष अदालत को सुझाव दिए हैं। उनके अनुसार, शीर्ष संवैधानिक पदों से हटने के बाद सभी व्‍यक्ति आमलोगों की श्रेणी में आ जाते हैं, ऐसे में वे आधिकारिक आवास के हकदार नहीं रह जाते हैं। उन्‍होंने ऐसे आवास को स्‍मारक बनाने का मामला भी उठाया।

मालूम हो कि 6 कृष्‍ण मेनन मार्ग स्थित सरकारी बंगले को बाबू जगजीवन राम नेशनल फाउंडेशन को दे दिया गया था। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्रियों पंडित जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्‍त्री और इंदिरा गांधी के आवास का भी यही हाल है।

गोपाल सुब्रमण्‍यम ने अपने सुझाव में कहा, 'शीर्ष पदों (राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री) से हटने के बाद संबंधित व्‍यक्ति को सरकारी सुविधाओं से वंचित कर देना चाहिए। वह दोबारा से भारत के आम नागरिक हो जाते हैं, ऐसे में प्रोटोकॉल के तहत न्‍यूनतम सुविधाएं, पेंशन और सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभ के अलावा अन्‍य विशेष सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए।'

सुब्रमण्‍यम ने स्‍पष्‍ट शब्‍दों में कहा कि पूर्व राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्रियों को विशेष सुविधाएं देना समानता के अधिकार का उल्‍लंघन है। जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आर. भानुमति की पीठ ने मामले की सुनवाई 16 जनवरी तक के लिए टाली दी है।
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