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CBSE ने पाठ्यक्रम से हटाई इस्लाम के उदय और विस्तार की कहानी, फैज अहमद की शायरी

Sakshi
23 April 2022 2:37 PM GMT
CBSE ने पाठ्यक्रम से हटाई इस्लाम के उदय और विस्तार की कहानी, फैज अहमद की शायरी
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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानि सीबीएसआई के नए शैक्षणिक सत्र के लिए नए पाठ्यक्रम की घोषणा कर दी गई है।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानि सीबीएसआई (CBSE) के नए शैक्षणिक सत्र के लिए नए पाठ्यक्रम (New Syllabus) की घोषणा कर दी गई है। नए पाठ्यक्रम में सीबीएसई (CBSE) ने कक्षा दसवीं की समाज विज्ञान की किताब से पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज (Faiz Ahmed Faiz) की शायरी और 11वीं की इतिहास की किताब से इस्लाम (Islam) की स्थापना, उसके उदय और विस्तार की कहानी को हटा दिया गया है। इसके अलावा 12वीं की किताब से मुगल साम्राज्य के शासन-प्रशासन पर एक अध्याय में बदलाव किया गया है।

बता दें कि मशहूर शायर फैज अहमद फैज की नज्मों को एक दशक से भी अधिक समय से सीबीएसई के छात्रों को एनसीईआरटी की कक्षा 10वीं की पाठ्यपुस्तक डेमोक्रिटक पॉलिटिक्स के 'धर्म, सांप्रदायिकता और राजनीति-सांप्रदायिकता, धर्मनिरपेक्ष राज्य' पढ़ाया जाता था। लेकिन इसे अब नए पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया गया है।

सीबीएसई ने 2022-23 का शैक्षणिक पाठ्यक्रम गुरुवार को जारी किया। नए पाठ्यक्रम में बताया गया कि पेज नंबर 46, 48, 49 पर फोटो को छोड़कर धर्म, सांप्रदायिकता और राजनीति पर खंड पाठ्यक्रम सामग्री का हिस्सा बना रहेगा। इन तीनों पृष्ठ में दो पर पोस्टर बने हैं जबकि एक पर राजनीतिक कार्टून बना है। केवल दो पोस्टर और कार्टून ही ऐसे चित्र हैं जिन्हें पाठ्यक्रम की सामग्री से बाहर रखा गया है।

वहीं कक्षा 11वीं की इतिहास की पुस्तर में मध्य इस्लामी भूमि का अध्याय हटा दिया गया है। इस अध्याय में अफ्रीकी एशियाई क्षेत्रों में इस्लामी साम्राज्य के उदय और वहां की अर्थव्यवस्था और समाज पर इसके प्रभाव के बारे में बताया गया था। इसके साथ ही कक्षा 10वीं की खाद्य सुरक्षा नामक अध्याय से कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव के हिस्से को हटा दिया गया है। इसी तरह 12वीं की राजनीति शास्त्र पुस्तक से शीत युद्ध और गुटनिरपेक्ष आंदोलन के अध्याय को भी हटा दिया गया है। सीबीएसई ने इस संबंध में अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

पाठ्यक्रम में किए गए बदलावों को लेकर शिक्षक बंटी हुई है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रोफेसर मौसमी बासु का कहना है कि आखिर ये बदलाव किस आधार पर किए जा रहे हैं? क्या इसके लिए शिक्षक समुदाय से संपर्क किया गया है? स्कूल हो या कॉलेज, पाठ्यक्रमों में बिना किसी कारण के बदलाव किए जा रहे हैं। पाठ्यक्रम से क्या हटाए जा रहे हैं और क्या जोड़े जा रहे हैं, इसकी ठीक से पड़ताल होनी चाहिए।

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