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CJI महाभियोग: उपराष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ SC पहुंचे कांग्रेस सांसदों ने वापस ली याचिका
Arun Mishra
8 May 2018 6:40 AM GMT
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CJI Dipak Misra (File Photo)
सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर जस्टिस एके सीकरी की अगुआई में 5 जजों की संविधान पीठ का गठन किया था।
नई दिल्ली : चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस खारिज करने की मांग संबंधी सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका मंगलवार को वापस ले ली गई। इसे कांग्रेस के दो सांसदों ने सोमवार को दायर किया था। इस पर सुनवाई के लिए खुद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने जस्टिस एके सीकरी की अगुअाई में 5 जजों की बेंच का गठन किया गया था। बता दें कि 23 अप्रैल को उपराष्ट्रपति ने विपक्ष के सात दलों के सांसदों के हस्ताक्षर वाले नोटिस को खारिज कर दिया था।
कांग्रेसी सांसदों की ओर से कपिल सिब्बल ने पांच जजों की पीठ के गठन पर सवाल उठाए। सिब्बल ने कहा कि याचिका को अभी नंबर नहीं मिला। एडमिट नहीं हुई, लेकिन रातों रात ये पीठ किसने बनाई? इस पीठ का गठन किसने किया ये जानना जरूरी है। सिब्बल ने कहा कि चीफ जस्टिस इस मामले में प्रशासनिक या न्यायिक स्तर पर कोई आदेश जारी नहीं कर सकते। सभी मामले को संविधान पीठ को रेफर किया जाता है, जब कानून का कोई सवाल उठा हो, यहां फिलहाल कानून का कोई सवाल नहीं है।
उन्होंने कहा कि ये सिर्फ न्यायिक आदेश के जरिए ही संविधान पीठ को भेजा जा सकता है, प्रशासनिक आदेश के जरिए नहीं. हमें वो आदेश चाहिए कि किसने इस याचिका को पांच जजों की पीठ के पास भेजा। हम आदेश मिलने के बाद इसे चुनौती देने पर विचार करेंगे।
आपको बता दें कि उपराष्ट्रपति ने कांग्रेस की महाभियोग की मांग खारिज कर दी थी जिसके बाद कांग्रेस के 2 राज्यसभा सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट में उपराष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। लेकिन कांग्रेस ने अपनी याचिका अब वासप ले ली है।
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि यह बहुत निराशाजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है कि संवैधानिक पीठ ने प्रशासनिक ऑर्डर की कॉपी शेयर करने से इंकार कर दिया।
जस्टिस सीकरी की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि उनके पास प्रशासनिक आदेश वाली कॉपी नहीं है। पांच जजों की बेंच ने दलील दी कि मामले की सुनवाई मेरिट पर होनी चाहिए।
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