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सुप्रीम कोर्ट का सवाल: दोषी व्यक्ति कैसे कर सकता है उम्मीदवार का चयन, नेताओं के उड़े होश

सुप्रीम कोर्ट का सवाल: दोषी व्यक्ति कैसे कर सकता है उम्मीदवार का चयन, नेताओं के उड़े होश
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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा-जो चुनाव नहीं लड़ सकते, वो किसी पार्टी का मुखिया कैसे हो सकते हैं
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूछा कि कोई दोषी व्यक्ति किसी राजनीतिक पार्टी का पदाधिकारी कैसे हो सकता है और वह चुनावों के लिए उम्मीदवार कैसे चयनित कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दोषियों पर राजनीतिक पार्टी बनाने तथा उसमें पदाधिकारी बनने से जब तक रोक लगाने का अनुरोध किया गया था जब तक वे चुनाव संबंधी कानून के तहत अयोग्य हैं.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ''कोई दोषी व्यक्ति किसी राजनीतिक पार्टी का पदाधिकारी कैसे हो सकता है और वह चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों का चयन कैसे कर सकता है? यह हमारे उस फैसले के खिलाफ जाता है जिसमें कहा गया था कि चुनावों की शुचिता से राजनीति के भ्रष्टाचार को हटाया जाना चाहिए.''
पीठ ने कहा कि कानून संबंधी मूल सवाल यह है कि दोषी ठहराए जाने के बाद कोई नेता चुनावी राजनीति से प्रतिबंधित है लेकिन पार्टी का पदाधिकारी होने के नाते वह एजेंटों के जरिए चुनाव लड़ सकता है. पीठ ने सवाल किया, ''क्या ऐसा है कि जो आप व्यक्तिगत रूप सें नहीं कर सके , उसे आप अपने एजेंटों के जरिए सामूहिक रूप से कर सकते हैं?'' पीठ ने कहा कि सवाल यह है कि क्या ऐसे लोग कोई राजनीतिक पार्टी बनाकर अन्य के जरिए चुनाव लड़ सकते हैं.

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि वह याचिका का जवाब दायर करेंगी और उन्होंने इसके लिए दो हफ्ते का समय मांगा जिसे अनुमति दे दी गई.पीठ बीजेपी नेता अश्विनी के उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दोषियों के राजनीतिक पार्टी बनाने और अयोग्यता की अवधि के दौरान पदाधिकारी बनने पर रोक का अनुरोध किया गया है.
भाषा

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