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सांप्रदायिक रहकर भारत कैसे बनेगा वैश्विक ताकत? - पूर्व चीफ जस्टिस जे एस खेहर
शिव कुमार मिश्र
12 Jan 2018 7:49 AM GMT
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‘अगर आप इस्लामिक विश्व में मुसलमानों को दोस्त बनाना चाहते हैं तो आप मुस्लिम विरोधी नहीं हो सकते. अगर आप ईसाइयों से दोस्ती करना चाहते हैं तो आप ईसाई विरोधी नहीं हो सकते. आजकल जो कुछ हो रहा है, वह इस देश के हित में नहीं है.
सुप्रीमकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जे एस खेहर ने कहा कि सांप्रदायिक रहकर भारत कैसे बनेगा वैश्विक ताकत? उन्होंने कहा कि हम अपनी पुरानी परिपाटी को त्याग कर नई परिपाटी को चुनकर कैसे देश को विश्व शक्ति बना पायेगे यह एक सवाल मुंह बाए खड़ा है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने शुक्रवार को अयोध्या विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की और उन्होंने कहा कि भारत ने आजादी के बाद पूर्ण धर्मनिरपेक्षता का मार्ग चुना है. लेकिन लगता है हम उसे भूल गये हैं, हम फिर 'जैसे को तैसा' रुख में आ गये हैं. उन्होंने धर्म से लेकर धर्मनिरपेक्षता, नोटबंदी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर अपनी राय रखी.
लाल बहादुर शास्त्री व्याख्यान देते हुए जस्टिस खेहर ने कहा, 'सबसे बड़ी हिंसा तो तब हुई जब देश आजाद हुआ, ऐसी क्रूरता सामने आयी जिसे पीढ़ियां नहीं भूल सकतीं. लेकिन भारत में कुछ अनोखा हुआ. पाकिस्तान इस्लामिक राज्य बना लेकिन भारत ने धर्मनिरपेक्ष रहना पसंद किया.' उन्होंने कहा कि भारत के नेताओं ने सुनिश्चित किया कि देश में पूर्ण धर्मनिरपेक्षता हो.
जस्टिस खेहर ने याद दिलाया कि बतौर चीफ जस्टिस रहते उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों को अयोध्या विवाद का सौंहार्दपूर्ण हल ढूंढ़ने में मदद की पेशकश थी. लेकिन पूर्व चीफ जस्टिस की अपील के बावजूद भी मुद्दा अटका हुआ है और रोज इस मामले पर नए-नए विवाद खड़े हो रहे हैं.
पूर्व सीजेआई खेहर ने कहा, 'जरा सोचिए, भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वह वैश्विक ताकत बनना चाह रहा है, अगर आपको वैश्विक ताकत बनना है तो क्या आप आज के विश्व में सांप्रदायिक रह सकते हैं?' उन्होंने कहा, 'अगर आप इस्लामिक विश्व में मुसलमानों को दोस्त बनाना चाहते हैं तो आप मुस्लिम विरोधी नहीं हो सकते. अगर आप ईसाइयों से दोस्ती करना चाहते हैं तो आप ईसाई विरोधी नहीं हो सकते. आजकल जो कुछ हो रहा है, वह इस देश के हित में नहीं है.' उन्होंने अयोध्या समेत सभी विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की और कहा कि कोई भी युद्ध के जरिए मुद्दे सुलझा नहीं सकता.
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