Archived

69वें गणतंत्र दिवस कि पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का देश के नाम संबोधन

Arun Mishra
25 Jan 2018 2:50 PM GMT
69वें गणतंत्र दिवस कि पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का देश के नाम संबोधन
x
राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देशवासियों में भाईचारा बढ़ाने पर जोर दिया।
नई दिल्ली : देश के उनहत्तरवें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के महामहिम राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने देश के नाम सम्बोधन किया। राष्ट्रपति ने कहा कि आप सभी को बहुत-बहुत बधाई! यह राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना के साथ, हमारी सम्प्रभुता का उत्सव मनाने का भी अवसर है। उन्होंने कहा कि आज का दिन हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को नमन करने का दिन है।

राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि देश के लोगों से ही लोकतंत्र बनता है। हमारे नागरिक, केवल गणतंत्र के निर्माता और संरक्षक ही नहीं हैं, बल्कि वे ही इसके आधार स्तम्भ हैं। हमारा हर नागरिक, हमारे लोकतन्त्र को शक्ति देता है। यह उन लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के महान प्रयासों और बलिदान को, आभार के साथ याद करने का दिन है जिन्होंने अपना खून-पसीना एक करके, हमें आज़ादी दिलाई, और हमारे गणतंत्र का निर्माण किया।

राष्ट्रपति ने कहा हर एक सैनिक, जो हमारे देश की रक्षा करता है; हर-एक किसान, जो हमारे देशवासियों का पेट भरता है; हर-एक पुलिस और अर्ध-सैनिक बल, जो हमारे देश को सुरक्षित रखता है; हर-एक मां, जो देशवासियों का पालन-पोषण करती है; हर-एक डॉक्टर, जो देशवासियों का उपचार करता है। हर-एक नर्स, जो देशवासियों की सेवा करती है; हर-एक स्वच्छता कर्मचारी, जो हमारे देश को स्वच्छ रखता है; हर-एक अध्यापक, जो हमारे देश को शिक्षित बनाता है; हर-एक वैज्ञानिक, जो हमारे देश के लिए इनोवेशन करता है; हर-एक इंजीनियर, जो हमारे देश को एक नया स्वरुप देता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे वरिष्ठ नागरिक, जो गर्व के साथ यह देखते हैं कि वे अपने लोकतंत्र को कितना आगे ले आये हैं; हर-एक युवा, जिसमे हमारे देश की ऊर्जा, आशाएं, और भविष्य समाए हुए हैं; और हर-एक प्यारा बच्चा, जो हमारे देश के लिए नए सपने देख रहा है। संविधान का निर्माण करने, उसे लागू करने और भारत के गणराज्य की स्थापना करने के साथ ही, हमने वास्तव में 'सभी नागरिकों के बीच बराबरी' का आदर्श स्थापित किया, चाहे हम किसी भी धर्म, क्षेत्र या समुदाय के क्यों न हो।

उन्होंने कहा, 'संविधान का निर्माण करने, उसे लागू करने और भारत के गणराज्य की स्थापना करने के साथ ही, हमने वास्तव में 'सभी नागरिकों के बीच बराबरी' का आदर्श स्थापित किया, चाहे हम किसी भी धर्म, क्षेत्र या समुदाय के क्यों न हो।' राष्ट्रपति ने कहा कि समता या बराबरी के इस आदर्श ने आजादी के साथ प्राप्त हुए स्वतंत्रता के आदर्श को पूर्णता प्रदान की। एक तीसरा आदर्श हमारे लोकतंत्र निर्माण के सामूहिक प्रयासों को और हमारे सपनो के भारत को सार्थक बनाता है। यह है बंधुता या भाईचारे का आदर्श।

उन्होंने कहा कि हमने साक्षरता को काफी बढ़ाया है। अब हमें शिक्षा के दायरे और बढ़ाने होंगे। शिक्षा-प्रणाली को ऊंचा उठाना और उसके दायरे को बढ़ाना तथा 21वीं सदी की डिजिटल अर्थव्यवस्था, रोबॉटिक्स और ऑटोमेशन की चुनौतियों के लिए समर्थ बनना हमारा उद्देश्य होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा, 'इनोवेटिव बच्चे ही एक इनोवेटिव राष्ट्र का निर्माण करते हैं। इस लक्ष्य को पाने के लिए हमें एक जुनून के साथ जुट जाना चाहिए। हमारी शिक्षा-प्रणाली में, रटकर याद करने और सुनाने के बजाय, बच्चों को सोचने और तरह-तरह के प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।'

राष्ट्रपति ने कहा, 'हमने खाद्यान्न उत्पादन में काफी बढ़ोतरी की है लेकिन अभी भी कुपोषण को दूर करने और प्रत्येक बच्चे की थाली में जरूरी पोषक तत्व उपलब्ध कराने की चुनौती बनी हुई है। यह हमारे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए और देश के भविष्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।' उन्होंने आगे कहा कि मुहल्ले-गांव और शहर के स्तर पर सजग रहने वाले नागरिकों से ही एक सजग राष्ट्र का निर्माण होता है। हम अपने पड़ोसी के निजी मामलों और अधिकारों का सम्मान करते हैं। त्योहार मनाते हुए, विरोध प्रदर्शन करते हुए या किसी और अवसर पर, हम अपने पड़ोसी की सुविधा का ध्यान रखें।

राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए लोगों के जीवन को खुशहाल बनाना ही हमारे लोकतंत्र की सफलता की कसौटी है। गरीबी के अभिशाप को, कम-से-कम समय में, जड़ से मिटा देना हमारा पुनीत कर्तव्य है। यह कर्तव्य पूरा करके ही हम संतोष का अनुभव कर सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे राष्ट्र में संपन्न परिवार अपनी इच्छा से सुविधा का त्याग कर देता है। आज यह सब्सिडी वाली एलपीजी हो या कोई और सुविधा ताकि इसका लाभ किसी जरूरतमंद परिवार को मिल सके। दान देने की भावना हमारी युगों पुरानी संस्कृति का हिस्सा है। आइए, हम इसे मजबूत बनाएं।
Next Story