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Same-sex marriage case LIVE : समलैंगिक शादियों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई LIVE: SC बोला- 'सेम सेक्स मैरिज पर कानून बनाना संसद का काम'

Arun Mishra
17 Oct 2023 6:23 AM GMT
Same-sex marriage case LIVE : समलैंगिक शादियों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई LIVE: SC बोला- सेम सेक्स मैरिज पर कानून बनाना संसद का काम
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सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संवैधानिक पीठ फैसला सुना रही है।

Same-sex marriage case LIVE : सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संवैधानिक पीठ फैसला सुना रही है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह कोर्ट कानून नहीं बना सकता, सिर्फ व्याख्या कर उसे लागू करा सकता है। स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, यह तय करना संसद का काम है।

दरअसल, इस मुद्दे पर 18 समलैंगिक जोड़ों की तरफ से याचिका दायर की गई थी. याचिककर्ताओं ने मांग की है कि इस तरह की शादी को कानूनी मान्यता दी जाए.

SC के फैसले की बड़ी बातें..

- सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में कुछ चार फैसले हैं. कुछ सहमति के हैं और कुछ असहमति के. उन्होंने कहा, अदालत कानून नही बना सकता. लेकिन कानून की व्याख्या कर सकता है.

- सीजेआई ने कहा, जीवन साथी चुनना जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. साथी चुनने और उस साथी के साथ जीवन जीने की क्षमता जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में आती है. जीवन के अधिकार के अंतर्गत जीवन साथी चुनने का अधिकार है. एलजीबीटी समुदाय समेत सभी व्यक्तियों को साथी चुनने का अधिकार है.

- सीजेआई ने कहा कि ये कहना सही नहीं होगा कि सेम सेक्स सिर्फ अर्बन तक ही सीमित नहीं है. ऐसा नहीं है कि ये केवल अर्बन एलीट तक सीमित है. यह कोई अंग्रेजी बोलने वाले सफेदपोश आदमी नहीं है, जो समलैंगिक होने का दावा कर सकते हैं. बल्कि गांव में कृषि कार्य में लगी एक महिला भी समलैंगिक होने का दावा कर सकती है. शहरों में रहने वाले सभी लोगों को कुलीन नहीं कहा जा सकता. समलैंगिकता मानसिक बीमारी नहीं है.

- उन्होंने कहा, विवाह का रूप बदल गया है. यह चर्चा दर्शाती है कि विवाह का रूप स्थिर नहीं है. सती प्रथा से लेकर बाल विवाह और अंतरजातीय विवाह तक विवाह का रूप बदला है. विरोध के बावजूद विवाहों के रूप में परिवर्तन आया है.

- सीजेआई ने कहा, प्रेम मानवता का मूलभूत गुण है. सीजेआई ने कहा, शादी करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है.

- सीजेआई ने कहा, अदालत केवल कानून की व्याख्या कर सकती है, कानून नहीं बना सकती. उन्होंने कहा कि अगर अदालत LGBTQIA+ समुदाय के सदस्यों को विवाह का अधिकार देने के लिए विशेष विवाह अधिनियम की धारा 4 को पढ़ती है या इसमें कुछ शब्द जोड़ती है, तो यह विधायी क्षेत्र में प्रवेश कर जाएगा.

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