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मोदी की उज्ज्वला योजना का सच, फ्री में नहीं दे रही सरकार गैस कनेक्शन इसमें भी है हेरा फेरी का खेल!
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार उज्ज्वला गैस योजना को महिलाओं के लिए की सबसे बड़ी परिवर्तन कारी योजना बताई जा रही है. प्रधानमंत्री मोदी खुद इस योजना की तारीफ़ कई मर्तबा मंच से कर चुके है. मगर हैरानगी तो तब हुई जब इसकी सच्चाई इसके उलट निकली है.
पहली बात तो यह कि इस स्कीम के तहत गरीब महिलाओं को दिया गया गैस कनेक्शन (सिलेंडर और चूल्हा) न तो फ्री है और न ही सिलेंडर पर (मार्च 2018 तक) सब्सिडी मिली है. किसी भी लाभार्थी को गैस कनेक्शन लेते ही कुल 1750 रुपये चुकाने पड़ते हैं. इनमें से 990 रुपये गैस चूल्हे के लिए जाते हैं जबकि 760 रुपये का पहला सिलेंडर आता है. सरकार की तरफ से दावा किया जाता है कि प्रति गैस कनेक्शन यानी प्रति उपभोक्ता 1600 रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है, जो गलत है.
दरअसल, सरकार इस योजना के तहत लिए गए कनेक्शन में पहले छह सिलेंडर की रिफिलिंग पर मिलने वाली सब्सिडी खुद रख लेती थी, ताकि 1600 रुपये की दी गई आर्थिक सहायता (एक तरह का कर्ज) चुकता कर लिया जाय। सरकार सिर्फ 150 रुपये का रेग्यूलेटर फ्री देती है. इसके एवज में पीतल बर्नर वाले चूल्हे की जगह लोहे का बर्नर लगा चूल्हा दिया जाता है. गैस पाइप भी छोटा दिया जाता है. बता दें कि उज्ज्वला योजना के उपभोक्ताओं को पहले छह सिलेंडर बाजार दर पर खरीदने होते हैं जो 750 से 900 रुपये के बीच पड़ता है. अमूमन एक सिलिंडर पर सब्सिडी 240 से 290 रुपये मिलती है। इस लिहाज से सरकार पहले छह सिलेंडर की रिफिलिंग के दौरान करीब 1740 रुपये प्रति ग्राहक वसूल लेती थी.
शायद यही वजह है कि अधिकांश उज्ज्वला योजना के उपभोक्ता दूसरी बार सिलेंडर नहीं भरवाते हैं. करीब 50 फीसदी उपभोक्ता ही हर दो महीने पर रिफिल करवाते हैं. जबकि करीब 30 फीसदी उपभोक्ता तीन-चार महीने में एक बार रिफिल करवाते हैं. सरकार की जब यह योजना फेल होने लगी तब चुनावी साल में अप्रैल 2018 से उज्ज्वला योजना के गैस सिलेंडर पर भी सब्सिडी देने का फैसला किया गया है. यानी सरकार ने 1750 रुपये की रिकवरी फिलहाल टाल दी है. इससे पहले योजना के छिपे पहलुओं के मुताबिक दी गई आर्थिक सहायता राशि वसूलने के बाद ही उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिलनी थी.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया में इस योजना का शुभारंभ किया था. इस योजना में ग्रामीण क्षेत्र की बीपीएलधारी महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखा गया है ताकि खाना बनाने के दौरान वो धूंए से परेशान न हों. योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर कर रही करीब 5 करोड़ महिलाओं को तीन साल के अंदर गैस कनेक्शन देना है.
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना डॉट कॉम नाम की सरकारी वेबसाइट के मुताबिक इस योजना के तहत सिर्फ महिलाएं ही आवेदक हो सकती हैं जिनका नाम बीपीएल सूची में है. इसके अलावा आवेदक का नाम सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना-2011 की लिस्ट में भी नाम होना चाहिए. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 24 करोड़ घरों में लगभग 10 करोड़ परिवार का चूल्हा लकड़ी, कोयला या उपले से जलता है, जिसे इस योजना से दूर किया जाना है.