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तीन तलाक पर हो सकती है 3 साल की सजा

Ekta singh
2 Dec 2017 4:39 AM GMT
तीन तलाक पर हो सकती है 3 साल की सजा
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इसमें तीन तलाक देने वालों के लिए गैर जमानती वारंट का प्रावधान किया गया है. साथ ही दोषी को तीन साल कैद और उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा.

नई दिल्ली: तीन तलाक पर केन्द्र सरकार इसी शीतकालीन सत्र में कानून बना सकती है. इसके लिए सख्त सजा का प्रावधान रखा जाएगा. केंद्र सरकार ने इससे संबंधित बिल का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है और अब इसे राज्यों को उनकी राय जानने के लिए भेजा गया है.

इसमें तीन तलाक देने वालों के लिए गैर जमानती वारंट का प्रावधान किया गया है. साथ ही दोषी को तीन साल कैद और उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा.

सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक तीन तलाक खत्म करने के लिए सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में कानून लाएगी. सरकार 'द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' नाम से इस विधेयक को लाएगी.

ये कानून सिर्फ तीन तलाक (INSTANT TALAQ, यानि तलाक-ए-बिद्दत) पर ही लागू होगा. इस कानून के बाद कोई भी मुस्लिम पति अगर पत्नी को तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा.

इसके बाद से किसी भी स्वरूप में दिया गया तीन तलाक वह चाहें मौखिक हो, लिखित और यो मैसेज में, वह अवैध होगा. जो भी तीन तलाक देगा, उसको तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है.

अगर किसी महिला को तीन तलाक दिया जाता है तो वह महिला खुद अपने और अपने नाबालिग बच्चों के लिए मजिस्ट्रेट से भरण-पोषण और गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है.

कितना गुजारा भत्ता देना है, उसका अमाउंट मजिस्ट्रेट तय करेगा. महिला अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी के लिए भी मजिस्ट्रेट से गुहार लगा सकती है.

पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए एक मंत्री समूह बनाया था, जिसमें राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, पीपी चौधरी और जितेंद्र सिंह शामिल थे.

अधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार को उम्मीद थी कि यह प्रथा खत्म हो जाएगी लेकिन यह अब भी जारी हैं. इस साल फैसले से पहले एक बार में तीन तलाक देने के 177 मामले दर्ज हुए जबकि फैसले के बाद 66 केस सामने आए. इसमें उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा केस सामने आए हैं. इसके बाद ही सरकार ने कानून बनाने का फैसला लिया.



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