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माफ़ कीजिएगा अब यह लिखना जरूरी हो गया है कि मीडिया ने अपना दींन ईमान मोदी सरकार के पास गिरवी रख दिया है. यह किस तरह की पत्रकारिता की जा रही है पता नही ? इस तरह की खबर छापने वाले पत्रकारों में किसी खबर का विश्लेषण करने की क्षमता बची भी है या नही कि शर्म हया भी बिल्कुल बेच खाई है. आज दोपहर में लगभग हर मीडिया चैनल पर लगभग एक ही हेडिंग है 'मोदी सरकार के विद्युतीकरण के कार्य की वर्ल्ड बैंक ने की तारीफ '.
अंदर की खबर इस तरह से बनाई गई है कि पढ़ा लिखा आदमी भी धोखा खा जाए 'बिजली के लिए भारत में शानदार काम हो रहा है. देश की 85% आबादी तक बिजली पहुंच चुकी है' सरकार 80% घरों तक बिजली पहुंचने का दावा कर रही है, लेकिन हमारे मुताबिक ये आंकड़ा 85 फीसदी है.
एक बारगी आपको भी लगेगा कि यह तो बहुत बड़ा काम किया गया है लेकिन वास्तविकता इसके ठीक विपरीत है वर्ल्ड बैंक का साफ कहना है कि विद्युतीकरण के कार्य मे बांग्लादेश और केन्या तक भारत से आगे चल रहे हैं और भारत मे यही रफ्तार रही तो हर घर मे बिजली का लक्ष्य 2029 में पूरा हो पाएगा. जबकि 24 सितंबर 2017 में मोदीजी दावा करते हैं कि हर घर मे बिजली का लक्ष्य 31 मार्च 2019 तक पूरा हो जाएगा. इसे उस वक्त 'सौभाग्य योजना' का नाम दिया गया था यानी वर्ल्ड बैंक का साफ कहना है कि अपने लक्ष्य से मोदी सरकार 10 साल पीछे चल रही है.
28 अप्रैल 2018 को मोदी जी अपनी पीठ थपथपाते हुए कहते हैं कि हमने भारत के सभी गांवो में बिजली पुहचाई है . इस दावे की पोल यूपी से चीफ इंजीनियर पद से रिटायर एवं ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने खोली है उन्होंने कहा है कि देश भर में 5.97 लाख गांव हैं, जिनमें से 18 हजार गांवों को 4 साल में बिजली पहुंचाई गई है. यानी औसतन 4 हजार गांवों में बिजली पहुंचाई गई, जबकि इससे पिछले सालों का रिकॉर्ड देखा जाए तो 9 से 18 हजार गांवों में सालाना बिजली पहुंचाई गई, इसलिए यह कोई अचीवमेंट नहीं है.
हकीकत यह हैं कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान हर साल 12,030 गांवों का औसतन विद्युतीकरण किया गया, जबकि मोदी सरकार ने सालाना तौर पर 4,842 का ही विद्युतीकरण किया है.
4 करोड़ घरो में बिजली नही पुहंची है यह 24 सितंबर के भाषण में स्वयं मोदीजी ने स्वीकार किया है जबकि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कह रही हैं कि 19 करोड़ लोगों के पास बिजली नही पुहंच पायी है विश्व बैंक के प्रमुख एनर्जी इकोनॉमिस्ट विवियन फोस्टर ने कहा कि भारत की 15 फीसदी जनसंख्या अब भी बिजली से दूर है.
तो यह तारीफ की है कि बुराई की है ? यह मोदी सरकार को शर्मिंदा कर देने वाली रिपोर्ट है जिसे इस तरह से प्रस्तुत किया जा रहा है कि मोदी की बहुत तारीफ की गई है .......शर्म आनी चाहिए ऐसी पत्रकारिता कर रहे लोगो को !
लेखक गिरीश मालवीय की कलम से
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