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जानकर उड़ जायेंगे होश पूरी बात!
नेहा वर्मा और उसके दो साथियों को इंदौर की सेशन कोर्ट ने तीन बार फांसी की सजा सुनाई थी। यह देश का पहला मामला है, जिसमें किसी लड़की को तीन बार फांसी की सजा सुनाई गई।
बाद में हाईकोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा। फिलहाल नेहा इंदौर की जेल में दिन काट रही है। उसकी फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दिया है, जहां उसकी अंतिम सुनवाई अभी बाकी है।
19 जून 2011 को श्रीनगर में रहने वाले बैंक अधिकारी निरंजन देशपांडे की पत्नी मेघा (45), बेटी अश्लेषा (23) और सास रोहणी फड़के (70) को अज्ञात लोगों ने मौत के घाट उतार दिया था। दिनदहाड़े हुई इस घटना से पूरे प्रदेश में सनसनी मच गई थी। कुछ दिनों बाद पुलिस ने मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया।
इनमें मुख्य भूमिका नेहा वर्मा (23) की थी। उसने अपने प्रेमी राहुल उर्फ गोविंदा चौधरी (24) और उसके दोस्त मनोज अटोदे (32) की मदद से वारदात को अंजाम दिया था। इंदौर के इतिहास का यह पहला मामला था, जिसमें लूट और तिहरे मर्डर के मामले में एक लड़की क़ानून के शिकंजे में आई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कि देशभर की आठ महिला कैदियों को इंटरनेशनल वुमन डे पर अवार्ड दिया गया है। जिसमें नेहा वर्मा भी शामिल है। तिनका-तिनका फाउंडेशन की तरफ से अवार्ड दिया गया यह अवार्ड विदेश मंत्रालय के सचिव ज्ञानेश्वर मूले द्वारा जारी किया है।नेहा ने जेल में रहते हुए जरदौजी की कला सीखी और सिखाई है। इसके अलावा ब्यूटी पार्लर का कोर्स सीखा और दूसरी महिला बंदियों को साफ सुथरा रहना सिखाया है।
पूछताछ में नेहा ने बताया था कि वह और रोहित एक-दूसरे से प्यार करते थे और शादी करना चाहते थे। पैसा नहीं होने की वजह से वे शादी नहीं कर पा रहे थे।
घटना के लगभग 2 महीने पहले शहर के एक शॉपिंग माॅल में नेहा की मुलाक़ात मेघा से हुई थी। उसे यह पता था कि मेघा के पति बड़े अधिकारी हैं और उनके घर में बेटी अश्लेषा, मेघा और उनकी मां के अलावा और कोई नहीं रहता। नेहा ने यह बात रोहित को बताई और उसके घर डाका डालने की योजना बनाई। नेहा ने घर की रेकी की।
वो तमाम अपराधी फांसी के फंदे का इंतजार कर रहे हैं, जिन्हें अदालत मौत की सजा सुना चुकी है। इसमें इंदौर की 29 वर्षीय नेहा वर्मा भी शामिल हैं। बेहद खूबसूरत और महज 29 साल की इस युवती और उसके दो साथियों को एक ही परिवार की तीन महिलाओं की हत्या का दोषी करार दिया गया था। इंदौर की सेशन कोर्ट ने तीनों आरोपियों को तीन बार फांसी की सजा सुनाई थी।
नेहा वर्मा अभी इंदौर की जिला जेल में अपनी मौत की सजा पर अंतिम फैसले का इंतजार कर रही है। सेशन कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था। फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दिया है, जहां उसकी अंतिम सुनवाई बाकी है।
रविवार को नेहा एक मार्केटिंग कंपनी का फार्म भरवाने मेघा के घर पहुंची थी और वहां सबकुछ सही देख उसने वहां से रोहित को फोन करने बुला लिया। राेहित और मनोज ने घर के भीतर दाखिल होते ही सबसे पहले मेधा को गोली मारी। गोली की आवाज सुन जब अश्लेषा और उसकी नानी रोहाणी भागते हुए बाहर आए तो रोहित और मनोज ने उन पर चाकूओं से वार कर दिया। कुछ ही देर में उन दोनों ने भी दम तोड़ दिया। इसके बाद तीनों को घर में जो भी कीमती सामान मिला, उसे लेकर फरार हो गए।
अपराध साबित होने पर फांसी एक मर्तबा ही दी जा सकती है, लेकिन इस मामले को रेयरेस्ट आॅफ द रेयर मानते हुए कोर्ट ने हर अपराध में हर अपराधी को तिहरी सजा सुनाई। आरोपियों को मेघा देशपांडे की हत्या के आरोप में फांसी, अश्लेषा की हत्या के आरोप में फांसी और रोहिणी की हत्या के आरोप में फांसी की सजा (यानी हर आरोपी को फांसी की तीन सजा) व एक-एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
शिव कुमार मिश्र
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