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कब और क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया, जानें- इस बार कब है अक्षय तृतीया?

Arun Mishra
28 April 2017 3:16 AM GMT
कब और क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया, जानें- इस बार कब है अक्षय तृतीया?
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अक्षय तृतीया को शास्‍त्रों में अक्षय पुण्य और धन दायक कहा गया है। शास्‍त्रों में बताया गया है कि इस दिन व्यक्ति जो भी शुभ काम करता है उसका पुण्य कभी खत्म नहीं होता। उसी तरह इस द‌िन जो व्यक्त‌ि देवी लक्ष्मी को प्रसन्न कर लेता है उसके घर में हमेशा देवी लक्ष्मी का वास बना रहता है। यदि आप भी चाहें तो इस अक्षय तृतीया अपने घर में देवी लक्ष्मी को बुलाने के यह उपाय आजमा सकते हैं।

कब मनाई जाती है अक्षय तृतीया?
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ही अक्षय तृतीया कहा जाता है। सनातन धर्मावलंबियों के लिए यह एक मुख्य पर्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन किया जाने वाला स्नान, दान, हवन और जप आदि का फल अनंत होता है और इनका कभी क्षय नहीं होता यानी ये सभी अक्षय हो जाते हैं। इतना ही नहीं जिस प्रकार इसदिन किए गए शुभ कर्मों का फल अक्षय अर्थात कभी न नष्ट होने वाला माना गया है उसी प्रकार इस दिन किये बुरे कर्मों का फल भी अक्षय हो जाता है। अत: इस दिन सद्कर्म करने की ही परामर्श दी जाती है।

इस बार कब है अक्षय तृतीया?
इस बार वैशाख महीने की शुक्ल तृतीया अंग्रेजी तिथि के अनुसार 28 अप्रैल 2017 को पड़ रही है। हालांकि इस तारीख को सूर्योदय के समय द्वितीया तिथि है लेकिन लगभग सुबह 10:30 बजे से तृतीया तिथि शुरू हो जाएगी जो अगले दिन यानी कि 29 अप्रैल 2017 को सुबह 06:55 बजे तक रहेगी। इस व्रत में मध्यान्ह व्यापिनी तृतीया तिथि ही ली जाती है ऐसे में भले ही 29 अप्रैल 2017 को सूर्योदय के समय तृतीया है न कि 28 अप्रैल 2017 को फिर भी अक्षय तृतीया का पर्व 28 अप्रैल 2017 को ही मनाया जाएगा। इसका कारण मुहूर्त न्यूनता है। क्योंकि 29 अप्रैल 2017 को सूर्योदय के बाद तृतीया लगभग 1 घंटे तक ही रहेगी यानी इसदिन दो मुहूर्त भी तृतीया नहीं रहेगी। यदि कम से कम 3 मुहूर्त तक यह तिथि होती तभी 29 अप्रैल 2017 को अक्षय तृतीया मनाना उचित रहता। जबकि 28 अप्रैल 2017 दिन शुक्रवार को साढ़े दस बजे सुबह से तृतीया शुरू हो रही है और इस दिन पूर्वाह्ण, मध्याह्न एवं अपराह्ण व्यापिनी तिथि होने से यह तिथि स्नान, दान, जप, हवन और तर्पण आदि सत्कृत्यों के लिए प्रशस्त होगी। यानी 28 अप्रैल 2017 को पड़ने वाली तृतीया तिथि ही अक्षय तृतीया की कसौटियों पर खरी उतर रही है। अर्थात इस वर्ष 28 अप्रैल 2017 को ही अक्षय तृतीया पर्व मनाना शास्त्र व मुहूर्त सम्मत रहेगा।

अक्षय तृतीया मनाने के पीछे क्या शास्त्रीय कारण हैं?
भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की गणना युगादि तिथियों में होती है। इसीदिन से सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ होना माना जाता है। भगवान विष्णु ने इसी तिथि को ही नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी के रूप में अवतार लिया था। मान्यता के अनुसार ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी थिति को होना माना जाता है। इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और इसी दिन ही श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट इसी तिथि से पुनः खुलना आरम्भ होते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी के मन्दिर में केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं। यानी कि अक्षय तृतीया सनातनी परम्परा में बहुत महत्त्वपूर्ण तिथि मानी जाती है।

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